logo

ट्रेंडिंग:

शाही बाराती भी है महाकुंभ का मुख्य आकर्षण, भगवान शिव से है संबंध

आस्था का महापर्व कुंभ में शाही स्नान से पहले शाही बाराती निकलती है। आइए जानते हैं कैसे शाही बाराती का है भगवान शिव से संबंध।

Image of Naga Sadhu in Maha kumbh

महाकुंभ में नागा साधु।(Photo Credit: PTI)

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

महाकुंभ का शुभारंभ पौष पूर्णिमा दिन से हो गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस महा आयोजन के पहले राजसी स्नान में 2 करोड़ से अधिक लोगों ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई थी। साथ ही इसी दिन विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु और संतों ने स्नान किया था। बता दें कि महाकुंभ मेले का सबसे बड़ा आकर्षन शाही स्नान और उससे जुड़ी शाही बारात होती है। यह धार्मिक परंपरा और अखाड़ों की शक्ति का प्रतीक है। शाही बारात में साधु-संतों की टोली, जिन्हें शाही बाराती कहा जाता है, खास परंपरा के साथ स्नान के लिए निकलती है।

शाही बारात की तैयारी

शाही बारात की शुरुआत से पहले अखाड़ों में विशेष तैयारियां की जाती हैं। नागा संन्यासी, महंत, आचार्य और अन्य साधु-संत अपने पारंपरिक रूप में सजते हैं। नागा संन्यासी अपने दिगंबर रूप में शरीर पर भभूत लगाकर, हाथों में त्रिशूल, तलवार और अन्य शस्त्र लेकर इस आयोजन में भाग लेते हैं। वहीं, महंत और आचार्य गेरुए वस्त्र धारण करते हैं।

 

यह भी पढ़ें: इस दिन किया जाएगा महाकुंभ 2025 का दूसरा राजसी स्नान और जानिए महत्व

भव्य आयोजन

शाही बारात अखाड़ों की शोभायात्रा होती है, जो पूरी भव्यता के साथ निकाली जाती है। इसमें रथ, घोड़े, हाथी बैलगाड़ियां और वर्तमान में ट्रक व बसों का भी प्रयोग किया जाता है, जिन पर अखाड़े के महामंडलेश्वर, संत और महंत सवार होते हैं। यात्रा में शंख, नगाड़े और ढोल-नगाड़ों की ध्वनि के साथ भजन और धार्मिक गीत गाए जाते हैं। यह नजारा किसी राजसी जुलूस की तरह होता है, जिसमें आस्था और भक्ति का संगम दिखता है।

शाही स्नान

शाही बारात का मुख्य उद्देश्य पवित्र नदी में स्नान करना है। हर अखाड़े को शाही स्नान के लिए निर्धारित समय दिया जाता है। सबसे पहले प्रमुख अखाड़े स्नान करते हैं, और इसके बाद अन्य अखाड़ों की बारी आती है। साधु-संत पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। शाही बारात न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह अखाड़ों की परंपरा, उनकी शक्ति और संगठन को प्रदर्शित करने का माध्यम भी है। यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत अनुभव होता है, जो उन्हें धर्म और अध्यात्म के प्रति प्रेरित करता है।

शाही बाराती का किस पौराणिक मान्यता से है संबंध

महाकुंभ में शाही बाराती और भगवान शिव की बाराती के बीच गहरा आध्यात्मिक संबंध है। शाही बाराती भगवान शिव की बारात का ही आधुनिक और धार्मिक स्वरूप मानी जाती है।  पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव के विवाह के समय जो बारात निकली थी, उसमें सभी प्रकार के प्राणी, देवता, असुर, पिशाच इत्यादि शामिल थे। यह बारात भगवान शिव अघोरी स्वभाव, उनकी निष्पक्षता और समस्त सृष्टि को अपनाने की क्षमता को दर्शाती है।

 

वहीं शाही बाराती में में नागा साधुओं का दिगंबर रूप और उनके हाथों में त्रिशूल, तलवार और शस्त्र, भगवान शिव के अघोरी स्वभाव का प्रतीक है। शाही बारात में ढोल-नगाड़ों और शंखध्वनि के साथ जो भव्यता दिखाई देती है, वह शिव की बारात की पौराणिक छवि की याद दिलाती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।


और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap