हिन्दू धर्म में कुंभ को आस्था का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी पंथ के लोग और विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत पवित्र डुबकी के लिए एकजुट होते हैं। इन सबमें महाकुंभ उत्सव को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, जो हर 12 के अंतराल पर होता है। बता दें कि कुंभ का आयोजन के भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थानों पर होता। इनमें प्रयागराज का संगम, हरिद्वार में गंगा नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी और नासिक की गोदावरी नदी शामिल हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ के दौरान पवित्र डुबकी लगाने से और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते हैं। साथ ही उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। बता दें कि 12 साल पर होने जा रहे महाकुंभ का आयोजन फिर होने जा रहा है। आइए जानते हैं कब और कहां शुरू होगा महाकुंभ?
कब और कहां होगा महाकुंभ 2025 का आयोजन?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, महाकुंभ का शुभारंभ पौष पूर्णिमा दिन से होगा और महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर इसका समापन हो जाएगा। पंचांग में बताया गया है कि महाकुंभ वर्ष 2025 में 13 जनवरी, सोमवार दिन से आरंभ होगा और इस महोत्सव का समापन 26 फरवरी 2025, मंगलवार के दिन होगा। महाकुंभ की कुल अवधि 45 दिनों की रहेगी।
महाकुंभ 2025 में कब होंगे शाही स्नान
महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है। इस विभिन्न अखाड़ों के मठाधीश्वर अन्य साधु-संतों के साथ पहला स्नान करते हैं।
पहला शाही स्नान पौष पूर्णिमा- 13 जनवरी 2025
दूसरा शाही स्नान मकर संक्रांति- 14 जनवरी 2025
तीसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या- 29 जनवरी 2025
चौथा शाही स्नान बसंत पंचमी- 03 फरवरी 2025
पांचवा शाही स्नान माघी पूर्णिमा- 12 फरवरी 2025
अंतिम शाही स्नान महाशिवरात्रि- 26 फरवरी 2025
कैसे किया जाता है स्थान का चयन?
महाकुंभ किस स्थान पर आयोजित होगा, इसका चयन देवगुरु बृहपति और ग्रहों के राजा सूर्य के स्थिति पर निर्भर करता है। जब गुरु वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं तो महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। जब गुरु और सूर्य सिंह में उपस्थित होते हैं तो महाकुंभ नासिक में होता है। इसके साथ जब गुरु कुंभ और सुर मेष में होते हैं महाकुंभ हरिद्वार में आयोजित होता है और जब गुरु सिंह और सूर्य मेष में रहते हैं, तब महाकुंभ का आयोजन उज्जैन में किया जाता है।