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महाकुंभ में कहां है CM योगी आदित्यनाथ के नाथ संप्रदाय का अखाड़ा?

योगी आदित्यनाथ संन्यासी हैं। वह नाथ संप्रदाय से आते हैं। उनका अखाड़ा कहां है, मान्यताएं क्या हैं, आइए जानते हैं।

Yogi Adityanath in Kumbh

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने अखाड़े में धर्म ध्वजा की पूजा करते हुए। (Photo Credit: Khabargaon)

महाकुंभ नगर में जन आस्था से जुड़े देश भर के प्रमुख अखाड़ों ने अपना भव्य दिव्य शिविर पंडाल बनाकर धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सनातन से संबंधित जप तप योग अनुष्ठान कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अखाड़े भी अपनी विशाल भव्यता की वजह से चर्चा में हैं। 

सेक्टर 19 से गुजरने वाले लाखों लोग नाथ संप्रदाय के अखाड़े तलाश रहे हैं। यह अखाड़ा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है जो स्वयं गोरक्षधाम गोरखपुर पीठ के श्रीमहंत और गोरक्षपीठाधीश्वर हैं। पूरब दिशा में मुख्य द्वार के साथ सुसज्जित श्री गुरुगोरक्ष नाथ अखाड़ा में शनिवार को मुख्यमंत्री श्री महंत के रूप में धर्मध्वजा की पूजा करने के साथ उपस्थित संतों की सेवा किया। उन्हें अपने हाथों से प्रसाद ग्रहण कराया।

संतों के साथ जमीन पर पाती में बैठकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण किया। सनातन गुरु गोरक्षनाथ अखाड़ा में सीएम योगी ने देशभर से आए सिद्ध योगेश्वरों से की अलग-अलग विषयों पर चर्चा भी की।

योगी महासभा के विशिष्ट उपाध्यक्ष महंत बालक नाथ योगी ने बताया कि यह अखाड़ा मुख्यमंत्री का है। यह अखाड़ा नाथ सम्प्रदाय का है, गुरु गोरक्षनाथ जी की परंपरा का है। जब से यहां धर्म ध्वजा की स्थापना हुई तब से भारत के अलग-अलग स्थानों से सिद्ध योगेश्वर यहां पहुंच रहे हैं। इनके रहने, सोने और प्रसाद की व्यवस्था यहां पर होती है।

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नाथ संप्रदाय का अखाड़ा कहां है?

गोरक्षनाथ ने पवित्र राप्ती नदी के किनारे तपस्या की थी और उन्हें कई प्रकार की सिद्ध मिली थीं। गोरखनाथ मंदिर का करीब 52 एकड़ क्षेत्र में विस्तार है। मंदिर परिसर में स्थित अखंड ज्योति और अखंड धूना इस मंदिर की खास विशेषता है। मान्यता है कि अखंड धूना में यहां त्रेता युग यानी सदियों से आग नहीं बुझी है और दिन रात यहां से धुआं निकलता रहता है।

कितना पुराना है नागपंथी अखाड़े का इतिहास?

नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा का इतिहास 12वीं शताब्दी में शुरू होता है। जब गोरखनाथ ने नाथ संप्रदाय की स्थापना की थी। गोरखनाथ एक महान योगी और संत थे, जिन्होंने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार किए थे। गोरखनाथ के बाद, उनके अनुयायियों ने नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा की स्थापना किया। यह अखाड़ा गोरखनाथ के शिक्षाओं और दर्शन को प्रसारित करने के लिए समर्पित है।

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जगह-जगह मंडराते हैं नाथ अखाड़े के जोगी

इस अखाड़े से जुड़े जोगी भारत के कई प्रांतों में गोरखनाथ की अलख फैलाते हैं। साधु-संत गुरु गोरखनाथ और उनकी परंपराओं का पालन करते हैं। इस अखाड़े से जुड़ी परंपरा में गोरखपुर का गोरखनाथ सेवा संसथान और गोरखपंथी जूना अखाड़ा भी शामिल है। प्रमुख हिंदू साधु संगठन नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा एक प्रमुख हिंदू साधु संगठन है, जो गोरखनाथ के अनुयायियों द्वारा संचालित किया जाता है। यह अखाड़ा नाथ संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो गोरखनाथ के शिक्षाओं और दर्शन पर आधारित है।

ऐतिहासिक है ये अखाड़ा

नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा एक प्रमुख हिंदू साधु संगठन है, जो दुनिया भर में फैला हुआ है। यह अखाड़ा गोरखनाथ के शिक्षाओं और दर्शन को प्रसारित करने के लिए समर्पित है। यह हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र है। इस अखाड़े के बारे में कहा जाता है कि मुख्य दैवत गोरखनाथ है। यह अखाड़ा ईस्वी 866 में अहिल्या-गोदावरी संगम पर स्थापित हुआ था। इसके संस्थापक पीर शिवनाथजी थे।इस अखाड़े में बारह पंथ हैं। यह संप्रदाय योगिनी कौल नाम से प्रसिद्ध है।अखाड़े की त्र्यंबकेश्वर शाखा त्र्यंबकंमठिका नाम से जानी

 जाती है।

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