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स्नान-दान के लिए जाना जाता है मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जानिए कथा और महत्व

हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

Image of Ganga Puja

गंगा आरती करते हुए तस्वीर। (File Photo)

हिंदू धर्म में पूर्णिमा व्रत को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान में समय में मार्गशीर्ष महीना चल रहा है और इस माह का अंतिम दिन को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक दृष्टि से इस दिन का विशेष महत्व और इसे पुण्यफल प्रदान करने वाला दिन माना गया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज के दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत का पालन किया जा रहा है।

 

पूर्णिमा तिथि के दिन व्रत, पूजा-पाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और चंद्र देव की आराधना की जाती है। साथ ही मार्गशीर्ष पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि शास्त्रों में यह बताया गया था कि इसी दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर गंगा स्नान, पूजा, तर्पण और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और अपने समस्त पापों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधिवत उपासना करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ रात के समय चंद्रदेव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य प्रदान किया जाता है। मान्यता है कि इससे चंद्र दोष शांत होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा कथा

मार्गशीर्ष पूर्णिमा से जुड़ी एक लोक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक निर्धन ब्राह्मण अपने जीवन में कई प्रकार के संघर्षों का सामना करता था। एक बार उसने मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने और व्रत रखने का संकल्प लिया। स्नान के बाद उसने भगवान विष्णु की आराधना की और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान किया। कहा जाता है कि उसी रात भगवान विष्णु ने उस ब्राह्मण को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि उसकी तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर वे उसे धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दे रहे हैं। इसके बाद ब्राह्मण का जीवन सुखमय हो गया।

 

इसके अलावा, आज का दिन भगवान दत्तात्रेय की उपासना के लिए भी समर्पित है। मान्यता है कि दत्तात्रेय, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त अवतार हैं, इसी दिन उनका जन्म हुआ था। भगवान दत्तात्रेय को योग, ज्ञान और तप का प्रतीक भी माना जाता है और उनकी उपासना करने से सत्य, धर्म और अध्यात्म में वृद्धि का आर्शीवाद प्राप्त होता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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