हिन्दू धर्म में अमावस्या व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि 29 जनवरी के दिन मौनी अमावस्या व्रत का पालन किया जाएगा, जिसे पूजा-पाठ के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। साथ ही मौनी अमावस्या के दिन पवित्र स्नान का भी विशेष महत्व है। आइए जानते हैं मौनी अमावस्या व्रत की सही पूजा विधि और महत्व।
मौनी अमावस्या पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान के समय 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करना चाहिए। अगर किसी के लिए नदी में स्नान करना संभव न हो, तो घर पर ही स्नान में गंगा जल मिलाकर इसका पवित्र प्रभाव लिया जा सकता है।
स्नान के बाद व्रत रखने का संकल्प लिया जाता है। इस दिन मौन रहकर व्रत करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मौन रहने से मन और वाणी की शुद्धि होती है, जो आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है। पूजा के लिए घर के पूजा स्थल को साफ कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं। भगवान को पुष्प, अक्षत, जल, फल और मिठाई अर्पित करें।
इसके बाद भगवद्गीता, विष्णु सहस्रनाम या किसी अन्य पवित्र ग्रंथ का पाठ करें। भगवान के सामने मौन धारण करते हुए प्रार्थना करें। इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। गरीबों को अन्न, वस्त्र और जरूरत की चीजें दान करें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना भी लाभकारी माना जाता है।
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या को आत्म-नियंत्रण और ईश्वर के प्रति भक्ति का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही मौन व्रत का पालन करने से मानसिक शांति मिलती है और विचारों में स्पष्टता आती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने स्वयं 'अमृत' का वरदान दिया था, जो भक्तों को मोक्ष प्रदान करता है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान और दान को अत्यधिक फलदायी माना गया है।
मौनी अमावस्या के दिन की गई पूजा और व्रत का फल हजारों यज्ञों के समान होता है। यह दिन न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए, बल्कि मन और आत्मा को शुद्ध करने के लिए भी अद्वितीय है।