logo

ट्रेंडिंग:

क्यों मनाया जाता है नवरोज? यहां जानें इस त्योहार से जुड़ी सभी खास बातें

पारसी धर्म में नवरोज त्योहार को बहुत ही खास माना जाता है। आइए जानते हैं क्यों मनाया जाता है ये पर्व और इससे जुड़ी मान्यताएं।

Image of Nowruz ritual

नवरोज पर सजाई गई चीजें।(Photo Credit: Canva Image)

नवरोज पर्व पारसी धर्म में नए साल को कहा जाता है, जिसे विशेष रूप से पारसी समुदाय और ईरानी लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। यह शब्द दो फारसी शब्दों से मिलकर बना है- 'नव' का मतलब है 'नया' और 'रोज' का अर्थ है 'दिन', यानी 'नया दिन'। फारसी कैलेंडर की माने तो नवरोज को वसंत ऋतु के पहले दिन यानी 20 या 21 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन प्रकृति की नई शुरुआत और जीवन में ताजगी का प्रतीक माना जाता है।

नवरोज का धार्मिक  महत्व

पारसी धर्म में नवरोज का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। पारसी धर्म के अनुसार, यह दिन न सिर्फ नए साल की शुरुआत है, बल्कि अच्छे काम और सच की राह पर चलने का प्रतीक भी है। पारसी धर्म के प्रवर्तक जरथुस्त्र (जोरास्टर) ने जीवन में अच्छाई, सत्य और कर्म की प्रधानता पर जोर दिया था। साथ ही यह दिन यह भी दर्शाता है कि जैसे प्रकृति वसंत ऋतु में नयापन लाती है, वैसे ही व्यक्ति को भी अपने विचारों और कार्यों में नयापन लाना चाहिए।

 

यह भी पढ़ें: ईद से एक रात पहले क्यों किया जाता है शब-ए-जायजा? जानें कुछ खास बातें

नवरोज कैसे मनाया जाता है?

नवरोज मनाने की परंपरा बहुत ही खास और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है। इसकी तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, नई चीजें खरीदते हैं और विशेष पकवान बनाते हैं। इस पर्व के दौरान घरों को फूलों और रंगीन वस्त्रों से सजाया जाता है।

 

एक खास परंपरा 'हफ्त-सीन' की होती है। इसमें सात ऐसी चीजें सजाई जाती हैं जिनके नाम फारसी में 'स' अक्षर से शुरू होते हैं।

  • सेब (स्वास्थ्य का प्रतीक)
  • सीर यानी लहसुन (रक्षा और शक्ति का प्रतीक)
  • समनू (मिठास और समृद्धि का प्रतीक)
  • सरका (धैर्य और उम्र का प्रतीक)
  • साबजी यानी हरी घास (प्रकृति और नवजीवन का प्रतीक)
  • सिका यानी सिक्का (धन और सौभाग्य का प्रतीक)
  • सुमाक (जीवन में स्वाद और विविधता का प्रतीक)

इन चीजों को एक सुंदर थाली में सजा कर घर में प्रमुख स्थान पर रखा जाता है। इसके अलावा, शीशा, मोमबत्तियां, रंगीन अंडे, और धार्मिक पुस्तकें भी रखी जाती हैं। साथ ही इस दिन पारसी समुदाय अग्नि मंदिरों में जाकर प्रार्थना करते हैं और अपने ईश्वर 'अहुरा मज्दा' से अच्छे जीवन, सुख-शांति और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

 

यह भी पढ़ें: ईद-उल-फितर में क्या है फितर का मतलब? यहां जानिए

 

पारंपरिक भोजन, जैसे पुलाव, मिठाईयाँ और सूखे मेवों से मेहमानों का स्वागत किया जाता है। बच्चे और बड़े सभी नए वस्त्र पहनते हैं और एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। नवरोज को ईरानी नववर्ष भी कहा जाता है और यूनेस्को ने इसे विश्व सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा भी दिया है। भारत में पारसी समुदाय इसे 'जमशेद-ए-नवरोज' के नाम से भी जानता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

Related Topic:#Festival 2025

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap