देश के प्रसिद्ध संतों में से एक संत प्रेमानंद महाराज की एक विशेष पहचान उनकी रात्रिकालीन पदयात्रा रही है। वह हर दिन रात 2 बजे अपने निवास स्थान से पदयात्रा पर निकलते थे और लाखों भक्त इस समय उनके दर्शन को सड़कों पर उमड़ पड़ते थे। रात्रि की इस परिक्रमा में लोग कई घंटों तक इंतज़ार कर सिर्फ उनके दर्शन मात्र से स्वयं को धन्य समझते थे। हालांकि हाल के दिनों में महाराज जी के स्वास्थ्य में थोड़ी गिरावट आई, जिसके कारण उनकी रात्रि यात्रा को पहले कुछ समय के लिए रोका गया था। इससे कई भक्तों में मायूसी छा गई थी।
अब जैसे-जैसे प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य में सुधार आ रहा है, पदयात्रा को फिर से शुरू कर दिया गया है। हालांकि, उनकी स्वास्थ्य को देखते हुए पदयात्रा के समय में बदलाव किया गया है। अब उसका समय सुबह 4 बजे कर दिया गया है। मंगलवार को महाराज जी ने भक्तों के साथ सुबह परिक्रमा की, जिससे उनके अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ गई।
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कौन हैं प्रेमानंद महाराज?
वृंदावन के श्रद्धालु संत श्री प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज को पूरे भारत में राधा-कृष्ण भक्ति के प्रचारक के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनका मन आध्यात्मिकता और भक्ति में रमा रहता था। उन्होंने कम उम्र में ही घर का त्याग कर दिया और साधु जीवन अपना लिया।
प्रेमानंद महाराज का वास्तविक नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। वह मात्र 13 वर्ष की उम्र में घर छोड़कर आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़े। शुरुआत में वह हरिद्वार और गंगा तटों पर तपस्या करते रहे। इसके बाद उनका रुझान वृंदावन की ओर हुआ, जहां वे राधा-कृष्ण की भक्ति में पूर्ण रूप से लीन हो गए। वृंदावन आने के बाद उन्होंने श्री हित राधा वल्लभ परंपरा के प्रमुख संत श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज से दीक्षा ली और उनका नाम प्रेमानंद गोविंद शरण पड़ा।
महाराज जी का मुख्य आश्रम वृंदावन परिक्रमा मार्ग पर स्थित 'श्री राधा केली कुंज' नाम का स्थान है, जो राधा रानी के विशेष प्रेम और कृपा का केंद्र माना जाता है। वह हर दिन भक्तों को राधा-कृष्ण की महिमा बताते हैं और जीवन को भक्ति से जोड़ने की प्रेरणा देते हैं।