वैदिक पंचांग के अनुसार, कल यानी 06 अप्रैल 2025 के दिन राम नवमी पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व हिंदू धर्म में मनाया जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। बता दें कि पंचांग में यह बताया गया है कि इस वर्ष राम नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। इस नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष और अध्यात्म में एक अत्यंत शुभ और पवित्र नक्षत्र माना जाता है। इसके साथ जब यह नक्षत्र चंद्रमा के साथ आता है, तब विशेष रूप से पुष्य योग बनता है। इस समय पूजा-पाठ, व्रत, जप-तप और शुभ कार्यों की शुरुआत को अत्यंत फलदायक माना गया है।
पुष्य नक्षत्र कैसे बनता है?
नक्षत्र, आकाश में स्थित 27 तारों के समूह होते हैं, जिनके आधार पर चंद्रमा की गति को मापा जाता है। पुष्य नक्षत्र 8वां नक्षत्र है, जो कर्क राशि में आता है और इसके स्वामी ग्रह शनि देव हैं। जब चंद्रमा कर्क राशि में आकर पुष्य नामक नक्षत्र के भीतर स्थित होता है, तो वह दिन पुष्य नक्षत्र कहलाता है। यदि यह नक्षत्र गुरुवार (गुरु पुष्य योग) या रविवार (रवि पुष्य योग) को पड़ता है, तो यह योग और भी खास बन जाता है।
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पुष्य नक्षत्र का आध्यात्मिक महत्व
आध्यात्मिक दृष्टि से यह नक्षत्र बहुत ही खास महत्व रखता है। बता दें कि'पुष्य' शब्द का अर्थ होता है पोषण करने वाला या विकास देने वाला। कहा जाता है कि यह नक्षत्र जीवन में उन्नति, समृद्धि और शुभता प्रदान करता है। इसे देवताओं का प्रिय नक्षत्र भी कहा गया है। अध्यात्म में पुष्य नक्षत्र को ऐसा समय माना जाता है जब ब्रह्मांडीय ऊर्जा अत्यंत संतुलित होती है। इस दौरान की गई भक्ति, ध्यान, मंत्र जाप आदि का कई गुना फल मिलता है।
पुष्य नक्षत्र में पूजा करने के लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही पुष्य काल में शिव-पार्वती, विष्णु-लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। एक मान्यता यह भी यदि कोई नया व्यापार, नौकरी, गृह प्रवेश, वाहन या जेवर खरीदने की योजना है, तो पुष्य नक्षत्र सर्वोत्तम समय होता है। इसके साथ इस दिन किए गए मंत्र जाप और हवन से त्वरित फल की प्राप्ति होती है।
एक मान्यता यह भी है कि पुष्य नक्षत्र में उपवास, ध्यान और योग करने से आत्मा की शुद्धि और मन की स्थिरता मिलती है। पुष्य नक्षत्र में पूजा के समय पीले या सफेद फूल, गाय का घी और तुलसी पत्र का प्रयोग श्रेष्ठ माना जाता है। इस दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' या 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' मंत्रों का जाप करना चाहिए। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण को पुष्य नक्षत्र में विशेष ऊर्जा प्राप्त हुई थी, जिससे उनके जीवन का उद्देश्य पूर्ण हुआ। इसके साथ कई ग्रंथों में उल्लेख है कि इस दिन सर्व ग्रहों की स्थिति शुभ मानी जाती है। व्यापारी वर्ग इस दिन को विशेष मानते हैं और नए खाता-बही की शुरुआत इसी दिन करना शुभ मानते हैं। पुष्य नक्षत्र में सोना, चांदी, वाहन, भूमि या घर खरीदना बेहद फलदायक माना जाता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।