सबरीमाला भगवान अयप्पा का मंदिर भारत के केरल राज्य में स्थित एक पवित्र तीर्थस्थल है, जो घने जंगलों और पर्वतों के बीच स्थापित है। यहां हर साल मनाया जाने वाला मंडला पूजा त्योहार धूमधाम से मनाई जाती है। बात दें कि 41 दिन चलने वाले इस विशेष अनुष्ठान का अंतिम दिन 26 दिसंबर 2024 को होगा। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेंगे। भगवान अयप्पा का यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इससे विभिन्न पौराणिक कथाएं, रहस्य और परंपराएं जुड़ी हुई हैं, जिन्हें जरूर जानना चाहिए।
भगवान शिव और मोहिनी के पुत्र हैं भगवान
लोक मान्यताओं के अनुसार, भगवान अयप्पा को हरिहरपुत्र कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे भगवान शिव और भगवान विष्णु के स्त्री रूप मोहिनी के पुत्र माने जाते हैं। उनका अवतरण राक्षसों का विनाश करने और पृथ्वी पर धर्म की पुनः स्थापना के लिए हुई थी। एक कथा के अनुसार, राक्षसी महिषी के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान अयप्पा ने अवतार लिया था। भगवान अयप्पा ने कठोर तप और वीरता से राक्षसों का नाश किया और संसार को शांति प्रदान की।
सबरीमाला मंदिर का पौराणिक महत्व
सबरीमाला मंदिर का नाम माता शबरी से संबंधित है, जिन्होंने भगवान राम को उनके वनवास के समय जूठे बेर खिलाए थे और भगवान ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें नवधा भक्ति के विषय में बताया था। दक्षिण भारत में इस स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान अयप्पा ने यहीं पर घोर तपस्या की थी और भक्तों के कल्याण के लिए इस स्थान को अपने निवास स्थान के रूप में चुना।
सबरीमाला मंदिर के दर्शन के लिए भक्तों को 18 पवित्र सीढ़ियां चढ़नी होती हैं, जिन्हें आध्यात्मिक जीवन के 18 गुणों का प्रतीक माना जाता है। यह यात्रा आध्यात्मिक व आत्मिक शुद्धिकरण का प्रतीक है।
मंदिर के नियम और परंपराए
सबरीमाला मंदिर की परंपराएं अन्य मंदिरों से अलग और सख्त मानी जाती हैं। भक्तों को दर्शन से पहले 41 दिनों का व्रत पालन करना पड़ता है, जिसे 'मंडलम व्रतम' कहते हैं। इस व्रत के दौरान भक्तों को ब्रह्मचर्य का पालन करना, शुद्ध सात्विक भोजन करना, और हर प्रकार की बुरी आदतों से दूर रहना होता है।
मंदिर में दर्शन के लिए केवल पुरुष और रजस्वला आयु से बाहर की महिलाएं जा सकती हैं। इस नियम के पीछे यह मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं। हालांकि, इस परंपरा को लेकर कुछ विवाद भी हुए हैं।
सबरीमाला से जुड़े रहस्य
सबरीमाला मंदिर का प्रमुख रहस्य इस देवस्थान के मुख्य गर्भगृह से संबंधित है, जहां भगवान अयप्पा की मूर्ति प्रतिष्ठित है। कहा जाता है कि यहां भगवान की उपस्थिति भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। इसके अलावा, 'मकर ज्योति' नामक चमत्कारिक घटना, जो मकर संक्रांति के दिन देखी जाती है, भक्तों के लिए एक बड़ा रहस्य और आकर्षण है।
बता दें कि मकर ज्योति के दिन, शाम के समय मंदिर के गर्भगृह में दीपार्जन होता है। इसके बाद, मंदिर के सामने स्थित पहाड़ी पोन्नम्बलमेडु पर मकर ज्योति दिखाई देती है, जिसे भगवान अयप्पा का दिव्य आशीर्वाद माना जाता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।