logo

हलाहल विष से अमृत कलश तक, जानिए समुद्र मंथन के 14 रत्न और उनका महत्व

हिंदू धर्म में समुद्र मंथन कथा का अपना एक विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कि इस दौरान किन 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी।

Image of Kumbh Mela

कुंभ मेले से जुड़ी है समुद्र मंथन की कथा (Pic Credit: Kumbh.gov.in)

धर्म-शास्त्रों में कई पौराणिक कथाएं हैं, जो आज भी विशेष महत्व रखते हैं और इनसे जुड़े कई पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक त्योहार है कुंभ मेला, जो समुद्र मंथन की कथा पर आधारित है। बता दें कि समुद्र मंथन की कथा देवताओं और असुरों के बीच हुए संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह कथा विष्णु पुराण, भागवत पुराण और महाभारत में विस्तार से वर्णित है। इस कथा में बताया गया है कि समुद्र मंथन में 14 रत्न प्राप्त हुए थे, जिनका अपना एक विशेष महत्व है। आइए जानते हैं उन 14 रत्नों के नाम और उनका महत्व।

समुद्र मंथन की कथा

कथा के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण इंद्र और अन्य देवता अपनी शक्तियां खो बैठे। तब भगवान विष्णु ने देवताओं को समुद्र मंथन का सुझाव दिया। मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मथनी और नाग वासुकी का प्रयोग रस्सी के रूप में किया गया। भगवान विष्णु ने कच्छप (कछुआ) अवतार लेकर पर्वत को अपनी पीठ पर टिकाया, ताकि वह समुद्र में डूब न जाए।

 

मंथन के दौरान, समुद्र से 14 अद्भुत रत्न प्रकट हुए, जिनमें कामधेनु गाय, कल्पवृक्ष, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी देवी, वरुण का अमृतघट, और विष (हलाहल) शामिल थे। हलाहल विष इतना भयानक था कि उसने पूरे संसार को जलाना शुरू कर दिया। इसे भगवान शिव ने ग्रहण किया और अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनके कंठ का रंग नीला पड़ गया और वे ‘नीलकंठ’ पड़ गए। अंत में, अमृत कलश प्रकट हुआ। जानते हैं वे 14 रत्न कौन-कौन से थे।

समुद्र मंथन से निकले 14 रत्न

  1. हलाहल विष: यह अत्यंत जहरीला पदार्थ था। इसे भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया और अपने कंठ में धारण किया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया। यह बलिदान और सृष्टि के संरक्षण का प्रतीक है।
  2. कामधेनु गाय: यह अद्भुत गाय सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली है। इसे ऋषियों ने धर्मकार्य और यज्ञ के लिए स्वीकार किया। यह समृद्धि और धार्मिकता का प्रतीक है।
  3. ऐरावत हाथी: यह चार दांतों वाला सफेद हाथी इंद्र को प्राप्त हुआ। यह शक्ति, प्रतिष्ठा और शाही वैभव का प्रतीक है।
  4. उच्चैःश्रवा अश्व: यह सात सिरों वाला दिव्य घोड़ा असुरों ने लिया। यह गति, शक्ति और गौरव का प्रतीक है।
  5. कौस्तुभ मणि: यह मणि भगवान विष्णु ने धारण की। इसे आत्मज्ञान, शुद्धता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है।
  6. कल्पवृक्ष: यह इच्छापूर्ति करने वाला वृक्ष है, जिसे देवताओं ने स्वर्ग में स्थापित किया। यह समृद्धि और शांति का प्रतीक है।
  7. लक्ष्मी देवी: समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुईं और उन्होंने भगवान विष्णु को अपना पति चुना। यह धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्रतीक हैं।
  8. वरुण का शंख (पांचजन्य): इसे भगवान विष्णु ने लिया। यह धर्म, विजय और शक्ति का प्रतीक है।
  9. पारिजात वृक्ष: यह स्वर्गीय फूलों का वृक्ष है, जो देवताओं को प्राप्त हुआ। यह दिव्यता और सुंदरता का प्रतीक है।
  10. चंद्रमा: चंद्रमा भगवान शिव को समर्पित हुआ। यह शीतलता, शांति और समय का प्रतीक है।
  11. शराब (मदिरा): इसे असुरों ने लिया। यह भोग और मोह का प्रतीक है।
  12. धन्वंतरि: ये आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं और अमृत लेकर प्रकट हुए। यह स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक हैं।
  13. अमृत: यह अमरता का प्रतीक है। देवताओं ने इसे ग्रहण किया और अमर हो गए।
  14. श्रीवत्स: यह भगवान विष्णु के वक्षस्थल पर उत्पन्न हुआ। यह सौभाग्य और वैभव का प्रतीक है।

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

शेयर करें

संबंधित आलेख


और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap