logo

ट्रेंडिंग:

जन्म से मरण तक, कैसे सप्तलोक के चक्र में रहती है आत्मा?

हिंदू धर्म -ग्रंथों में 7 लोक के विषय में बताया गया है, जहां जन्म से मृत्यु तक आत्मा विचरण करती है। आइए जानते हैं क्या है इन लोक से जुड़ा रहस्य और अर्थ।

Image of Galaxy

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Canva Image)

हिंदू धर्म में आत्मा को अमर और अनंत माना गया है, जो जन्म और मृत्यु के चक्र में बंधी रहती है। इस चक्र के दौरान आत्मा विभिन्न लोकों में भ्रमण करती है, जो उसके कर्मों और आध्यात्मिक विकास पर निर्भर करता है। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मांड में 14 लोक हैं—7 ऊर्ध्वलोक (ऊपरी लोक) और 7 अधोलोक (निचले लोक)। यहां हम सात ऊर्ध्वलोकों की बात करेंगे, जो आत्मा की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भू-लोक (पृथ्वी)

यह वह स्थान है जहां मनुष्य और अन्य जीव-जंतु रहते हैं। यह कर्मभूमि है, जहां आत्मा अच्छे या बुरे कर्म करके अपने अगले जीवन की दिशा निर्धारित करती है। यहां का वातावरण भौतिक और मानसिक अनुभवों से भरपूर होता है।

 

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में बने भगवान शिव के इस मंदिर में बने कुंड की है रोचक कहानी

भुवर-लोक (पितृलोक)

यह लोक पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित है। यहां पितृगण और कुछ अर्ध-देवता निवास करते हैं। यह लोक आत्मा के लिए एक अस्थायी विश्राम स्थल होता है, जहां वह अपने कर्मों के फल का आंशिक अनुभव करती है।

स्वर्ग-लोक (इंद्रलोक)

यह लोक इंद्र के अधीन है और यहां देवता, गंधर्व, अप्सराएं और अन्य दिव्य प्राणी रहते हैं। यहां का वातावरण सुखद और आनंदमय होता है लेकिन यह भी अस्थायी है; आत्मा को अपने पुण्य क्षीण होने पर पुनः जन्म लेना पड़ता है।

महर-लोक

यहां महान ऋषि और तपस्वी आत्माएं निवास करती हैं, जो गहन ध्यान और तपस्या में लीन रहते हैं। यह लोक उच्च आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है और यहां का वातावरण शांत और ध्यानमय होता है।

जन-लोक

यह लोक ब्रह्मा के पुत्रों और उच्च कोटि के संतों का निवास स्थान है। यहां आत्माएं गहन ज्ञान और ध्यान में लीन रहती हैं। यह स्थान अत्यंत शांत और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है।

तप-लोक

यहां वे आत्माएं निवास करती हैं जो अत्यंत तपस्या और ध्यान के माध्यम से उच्चतम आध्यात्मिक स्तर पर पहुंच चुकी हैं। यह लोक तप और ध्यान का प्रतीक है और यहां का वातावरण अत्यंत शांत और दिव्य होता है।

 

यह भी पढ़ें: बैजनाथ धाम: वह स्थान जहां वैद्य रूप में महादेव ने किया था निवास

सत्य-लोक (ब्रह्म-लोक)

यह सर्वोच्च लोक है, जहां ब्रह्मा और अन्य उच्चतम आत्माएं निवास करती हैं। यहां आत्मा मोक्ष प्राप्त कर ब्रह्म के साथ एकाकार हो जाती है। यह लोक शाश्वत सत्य, ज्ञान और आनंद का प्रतीक है।

आत्मा की यात्रा और शास्त्रीय दृष्टिकोण

आत्मा की यह यात्रा उसके कर्मों और आध्यात्मिक विकास पर निर्भर करती है। योग शास्त्रों में इसे सात चक्रों के माध्यम से समझाया गया है, जो आत्मा की चेतना के विभिन्न स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन चक्रों के माध्यम से आत्मा धीरे-धीरे उच्च लोकों की ओर अग्रसर होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

 
Related Topic:#Dharma Katha

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap