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जब सूर्य देव को करना पड़ा था भगवान शिव के क्रोध का सामना, जानिए कथा

रविवार का दिन सूर्य देव की उपासना के लिए समर्पित है और सूर्य से संबंधित कई कथाएं व लोक मान्यताएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं एक ऐसी ही रोचक कथा।

Surya Dev Image

सूर्य देव। (Creative Image)

हिंदू धर्म में सूर्य देव की उपासना के लिए रविवार व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार के अवसर पर सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में भी रविवार के महत्व को विस्तार से बताया गया है। क्या आप जानते हैं कि भगवान सूर्य को भगवान शिव के क्रोध का सामना करना पड़ा था? आइए जानते हैं इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा।

जब सूर्य देव को करना पड़ा भगवान शिव के क्रोध का सामना

पौराणिक कथा के अनुसार, माली और सुमाली नामक दो असुर थे। इन दोनों असुरों ने एक बार भगवान सूर्य देव का निरादर किया था, जिसके परिणामस्वरूप इन दोनों दैत्यों को शारीरिक पीड़ा का श्राप मिला। वे इस पीड़ा से मुक्त नहीं हो पा रहे थे। जब यह कष्ट अधिक बढ़ गया, तो दोनों असुरों ने भगवान शिव के पास जाने का निर्णय लिया।

 

भगवान शिव ने जब माली और सुमाली की व्यथा सुनी, तो वे क्रोधित हो गए और सूर्य देव पर त्रिशूल से प्रहार कर दिया। भगवान शिव के इस क्रोधित रूप और प्रहार से सूर्य देव का रथ गिर गया, और पूरी सृष्टि में अंधकार छा गया।

 

तब सूर्य देव के पितामह, महर्षि कश्यप, को जब इस पूरी घटना का ज्ञान हुआ, तो उन्होंने क्रोधित होकर भगवान शिव को श्राप दिया। इस श्राप के परिणामस्वरूप, भगवान शिव ने अपने पुत्र का सिर धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद, जब भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ, तब उन्होंने सूर्य देव को जीवनदान दिया। सूर्य देव के पुनः जीवन में आने से सृष्टि में प्रकाश फैल गया।

सूर्य देव की उपासना का महत्व

इसके पश्चात, ब्रह्मा जी ने माली और सुमाली, दोनों असुरों को सूर्य देव की उपासना के महत्व के विषय में बताया। तब इन दोनों दैत्यों ने भगवान सूर्य की विशेष उपासना की, जिससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हें सभी प्रकार की शारीरिक पीड़ाओं से मुक्त कर दिया।

 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रतिदिन सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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