ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर के मशहूर बोंडी बीच पर रविवार शाम को एक दर्दनाक गोलीबारी हुई। यह हमला उस समय हुआ जब यहूदी समुदाय के लोग हनुक्का पर्व की पहली रात मना रहे थे। पुलिस के अनुसार, कम से कम दो हमलावरों ने लोगों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक हमलावर भी शामिल है। करीब 29 लोग घायल हुए हैं, जिनमें दो पुलिस अधिकारी भी हैं।
घटना शाम करीब 6:47 बजे हुई। बोंडी बीच के आर्चर पार्क में 'चानुका बाय द सी' नाम का उत्सव चल रहा था, जहां करीब 1000 लोग इकट्ठे थे। वहां मेनोराह (विशेष दीपक) जलाने का कार्यक्रम था। अचानक दो हथियारबंद लोग आए और गोलीबारी शुरू कर दी। लोग इधर-उधर भागने लगे। वीडियो में दिख रहा है कि हमलावरों ने पुल से गोलियां चलाईं। एक बहादुर व्यक्ति ने एक हमलावर को पकड़कर उसका हथियार छीन लिया, जिससे कई जानें बचीं।
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यहूदियों को बनाया निशाना
न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने इसे आतंकी हमला घोषित किया है। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि यह हमला यहूदी समुदाय को निशाना बनाकर किया गया। एक हमलावर पुलिस की गोली से मारा गया, दूसरा गंभीर रूप से घायल है और हिरासत में है। पुलिस तीसरे हमलावर की जांच कर रही है। एक कार में विस्फोटक सामान मिला, जिसे बम स्क्वॉड ने निष्क्रिय किया।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने इसे 'यहूदी विरोधी आतंकवाद' बताया और कहा कि यह देश के दिल पर हमला है। राज्य के प्रीमियर क्रिस मिन्स ने भी इसे यहूदी समुदाय पर टारगेटेड हमला कहा। मारे गए लोगों में चाबाड ऑफ बोंडी के सहायक रब्बी एली श्लैंगर भी शामिल हैं।
यह घटना हनुक्का पर्व की पहली रात पर हुई, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि हनुक्का क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है।
हनुक्का पर्व क्या है?
हनुक्का यहूदियों का आठ दिनों का त्योहार है, जिसे 'प्रकाश का पर्व' कहा जाता है। यह हर साल दिसंबर में मनाया जाता है। इस साल यह 14 से 22 दिसंबर तक है।
हनुक्का का मतलब है 'समर्पण'। यह दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की घटना की याद में मनाया जाता है। उस समय सीरिया के ग्रीक राजा ने यहूदियों को अपनी संस्कृति अपनाने पर मजबूर किया। लेकिन यहूदा मैकाबी के नेतृत्व में कुछ बहादुर यहूदियों ने ग्रीक सेना को हरा दिया और यरुशलम के पवित्र मंदिर को फिर से ईश्वर को समर्पित किया।
मंदिर में मेनोराह (सात शाखाओं वाला दीपक) जलाने के लिए सिर्फ एक दिन का शुद्ध तेल बचा था, लेकिन चमत्कार से वह तेल आठ दिन तक चला। इन चमत्कारों की याद में हनुक्का मनाया जाता है।
कैसे मनाते हैं हनुक्का?
हनुक्का की मुख्य परंपरा हर शाम हनुक्किया नामक नौ शाखाओं वाले विशेष दीपक पर मोमबत्तियां जलाना है। पहली रात एक मोमबत्ती, दूसरी रात दो और इसी क्रम से आठवीं रात आठ मोमबत्तियां जलाई जाती हैं, जबकि नौवीं शाखा की 'शमाश' मोमबत्ती अन्य को जलाने के काम आती है।
घरों में विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं, 'माओज़ त्ज़ुर' जैसे गीत गाए जाते हैं और बच्चे ड्रेडल नामक चार तरफा लट्टू से खेलते हैं, जिस पर हिब्रू अक्षर लिखे होते हैं। भोजन में तेल से तले व्यंजन खास होते हैं, जैसे लटके (आलू के पैनकेक) और सूफगानियोट (जैम भरे डोनट्स), जो तेल के चमत्कार को याद दिलाते हैं। आधुनिक समय में बच्चे उपहार और 'हनुक्का गेल्ट' प्राप्त करते हैं।
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यह पर्व प्रकाश की जीत और चमत्कारों की याद दिलाता है। लेकिन इस साल ऑस्ट्रेलिया में हुई इस दुखद घटना ने पूरे विश्व में यहूदी समुदाय को सदमे में डाल दिया है। घटना की जांच जारी है और दुनिया भर में इसकी निंदा की जा रही है।