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मनु और शतरूपा की कहानी क्या है?

मनु और शतरूपा हिंदू पौराणिक कथाओं के केंद्र में हैं। वे प्रथम मानव माने जाते हैं और ऐसी मान्यता है कि सृष्टि की शुरुआत उनसे हुई है।

Manu and Shatrupa

मनु और शतरूपा को मानवों का आदि पूर्वज माना जाता है। (तस्वीर सांकेतिक, क्रेडिट- फ्री पिक)

हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि विश्व के पहले पुरुष मनु थे। उन्हें मानव सभ्यता का 'आदि पुरुष' कहा जाता है। मनु को भगवान का प्रथम संदेशवाहक भी कहा जाता है। हिन्दू मान्यताएं कहती हैं कि हमारे संसार को ईश्वर ने ही बनाया है। ब्रह्मा के शरीर से मनु और शतरूपा का जन्म हुआ। 

ब्रह्मा के एक हिस्से से मनु और दूसरे हिस्से से शतरूपा का जन्म हुआ। मनु और शतरूपा को संसार के सृजन का श्रेय जाता है। ऐसी मान्यता है कि मनु और शतरूपा की संताने मानव कहलाए। मनु के दो पुत्र और तीन पुत्रियां थीं। मनु की संतान होने की वजह से इंसानों का मानव नाम पड़ा। मनु ने संसार को जीने की कला सिखलाई। उन्होंने राज व्यवस्था बनाई, उन्होंने कार्य विभाजन किया। 


मानव दूसरे जीवों से क्यों अलग?
मानव, अन्य जीवों से अलग इसलिए है कि क्योंकि उसमें संवेदना है, उसे व्यक्त करने आता है, वह बुद्धिमान है, वह किसी का हित-अहित सोच और समझ सकता है। उसका अपने मन पर नियंत्रण है। मनु के ही वंशज मानव कहलाते हैं।

 

14 मनुओं के नाम
हिंदू संस्कृति में मान्यता है कि कुल 14 मनु हैं। स्वयंभू मनु सहित 14 मनुओं ने समय-समय पर मानव सभ्यता को पाला-पोषा है। अब तक कुल 14 मनु अवतार ले चुके हैं, 7 और मनुओं का जन्म बाकी है। महाभारत में आठ मनुओं के बारे में बताया गया है।

श्वेतवाराह कल्प में 14 मनु को ही जैन धर्म में कुलकर कहा गया है। स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तामस मनु या तापस मनु,रैवत मनु, चाक्षुषी मनु, वैवस्वत मनु या श्राद्धदेव मनु (वर्तमान मनु), सावर्णि मनु,दक्ष सावर्णि मनु, ब्रह्म सावर्णि मनु, धर्म सावर्णि मनु, रुद्र सावर्णि मनु, देव सावर्णि मनु या रौच्य मनु, इन्द्र सावर्णि मनु।


कैसे बढ़ा था मनु का वंश?

मनु और शतरूपा की कुल 5 संतानें हुईं। उनके दो पुत्र हुए और तीन कन्याएं हुईं। प्रियवत और उत्तानपाद उनके पुत्रों के नाम थे। आकूति, देवहूति और प्रसूति तीन कन्याएं हुईं। आकूति का विवाह रुचि प्रजापति के साथ और प्रसूति का विवाह दक्ष प्रजापति के साथ हुआ था। 

देवहूति का विवाह प्रजापति कर्दम के साथ हुआ। कपिल ऋषि देवहूति की संतान थे। पौराणिक मान्यता है कि तीन कन्याओं की वजह से ही संसार में सृष्टि का संचालन हुआ। मनु के पुत्र उत्तानपाद की सुनीति और सुरुचि दो पत्नियां थीं। सुनीति से ध्रुव और सुरुचि से उत्तम नामक दो पुत्र पैदा हुए। ध्रुव ने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की और ब्रह्माण्ड में ऊंचा स्थान हासिल हुआ।

प्रजा का पालन करते हुए जब महाराज मनु को मोक्ष की अभिलाषा हुई तो वे संपूर्ण राजपाट अपने बड़े पुत्र उत्तानपाद को सौंपकर एकान्त में अपनी पत्नी शतरूपा के साथ नैमिषारण्य तीर्थ चले गए। मनु के पुत्र प्रियव्रत धमर्ज्ञ राजा कहे गए। उनके भाई उत्तानपाद से ज्यादा प्रियवत की ख्याति थी। 

मनु के काल में ऋषि मरीचि, अत्रि, अंगिरस, पुलह, कृतु, पुलस्त्य और वशिष्ठ जैसे ऋषि हुए। राजा मनु सहित और इन ऋषियों ने ही मानव को सभ्य, सुविधा संपन्न, श्रमसाध्य और सुसंस्कृत बनाने का काम किया। जीवन की अवधारणा से पहले पृथ्वी को कई रूपों में बांटा गया। पाताल, धरती, स्वर्ग जैसे कई हिस्से बनाए गए। स्वर्ग से ही ब्रह्मा ने स्वयंभू 'मनु'को धरती पर अवतार लेने के लिए कहा। 

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