आईपीएल 2025 में 16 अप्रैल को दिल्ली कैपिटल्स (DC) और राजस्थान रॉयल्स के बीच कांटे की टक्कर हुई। मुकाबला सुपर ओवर तक गया, जहां DC ने बाजी मारी। सुपर ओवर में दिल्ली कैपिटल्स की ओर से मिचेल स्टार्क ने गेंदबाजी की। स्टार्क की चौथी गेंद को थर्ड अंपायर ने बैकफुट नो-बॉल करार दिया। अंपायर के इस फैसले से फैंस के साथ-साथ स्टार्क भी हैरान रह गए। हालांकि नियम के अनुसार, दिए गए इस फैसले को DC और स्टार्क को मानना पड़ा। आइए बैकफुट नो-बॉल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या होता है बैकफुट नो-बॉल?
गेंद डालने के दौरान गेंदबाज का पिछला पैर रिटर्न क्रीज के अंदर नहीं पाए जाने पर बैकफुट नो-बॉल दिया जाता है। रिटर्न क्रीज लाइन से भी गेंदबाज का पैर नहीं छूना चाहिए, नहीं तो वह गेंद वैलिड नहीं मानी जाएगी।
फ्रंटफुट नो-बॉल और बैकफुट नो-बॉल में अंतर?
फ्रंटफुट नो-बॉल दिए जाने के समय चेक किया जाता है कि गेंदबाज के पैर का कुछ हिस्सा पॉपिंग क्रीज के अंदर है या नहीं, जबकि बैकफुट नो-बॉल के समय इस बात पर जोर रहता है कि बॉलर का पैर पूरी तरह से रिटर्न क्रीज के अंदर पड़ा है या नहीं। गेंदबाज का पिछला पैर रिटर्न क्रीज में लैंड करने के बाद हवा में रहते हुए बाहर जाता है तो इससे कोई दिक्कत नहीं है।
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क्यों है यह नियम?
गेंदबाजों को जरूरत से ज्यादा एंगल बनाने से रोकने के लिए इस नियम को लागू किया गया था। अगर बैकफुट नो-बॉल का नियम नहीं रहे तो बैटिंग तो मुश्किल होगी अंपायरिंग करना भी काफी कठिन काम हो जाएगा।
बैकफुट नो-बॉल कौन देता है?
अक्सर बैकफुट नो-बॉल मैदानी अंपायर देते हैं। वहीं आईपीएल जैसी लीग में थर्ड अंपायर रिप्ले देखकर फैसला सुनाते हैं। फ्रंटफुट नो-बॉल की तुलना में बैकफुट नो-बॉल को पकड़ना काफी मुश्किल है।
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