logo

ट्रेंडिंग:

कॉमनवेल्थ गेम्स को गुलामी से जोड़कर क्यों देखते हैं लोग? समझिए कहानी

दुनिया में वर्ल्ड फेम दो बड़े टूर्नामेंट होते हैं, जिनमें बड़े स्तर पर खेलों का ग्रुप टूर्नामेंट होता है। पहला ओलंपिक और दूसरा कॉमनवेल्थ।

Commonwealth Games

कॉमनवेल्थ गेम्स, अब खेल कूटनीति का हिस्सा हैं. (फोटो क्रेडिट- www.commonwealthsport.com)

हिंदुस्तान के लोगों से अगर आप सवाल करें कि इंटरनेशनल लेवल के किसी दो खेल प्रतियोगिताओं का नाम बताएं जिसमें बड़ी संख्या में अलग-अलग खेलों को जगह दी जाती हो तो जानते हैं उनका जवाब क्या होगा? ओलंपिक और कॉमनवेल्थ। ओलंपिक खेलों में भारत के पदक तो कम आते हैं लेकिन कॉमनवेल्थ खेलों में भारत का सिक्का चलता है। वजह भी बेहद दिलचस्प है। 

 

कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन। इंग्लैंड के लंदन शहर में इस फेडरेशन का मुख्यालय है। भारत ब्रिटेन का उपनिवेश रहा है। साल 1911 में ब्रिटिश साम्राज्य ने 'फेस्टिवल ऑफ एंपायर' नाम से एक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया था। किंग जॉर्ज पंचम के कार्यकाल में हुए इन खेलों में ऑस्ट्रेलिया, यूके, कैनडा और दक्षिण अफ्रीका ने हिस्सा लिया था। 

 

जानिए क्या है कॉमन वेल्थ खेलों का इतिहास
इस खेल में बॉक्सिंग, एथेलेटिक्स, रेसलिंग और स्वमिंग जैसे खेलों का आयोजन किया गया था। ब्रिटिश साम्राज्य की ओर से आयोजित ये खेल कनाडा के हैमिल्टन में 1930 में हुए थे। 11 देशों से 400 एथिलीट खेलों में हिस्सा लेने आए थे। तब ब्रिटेन की ही टीम ने सबसे ज्यादा मेडल हासिल किए थे। कॉमनवेल्थ शहरों में हर 4 साल के अंतराल पर ये खेल आयोजित किए जाते हैं। ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स साल 1934 में दूसरी बार खेला गया। पहले यह दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में होने वाला था लेकिन इन्हें रंगभेदी आंदोलनों की वजह से लंदन में शिफ्ट कर दिया गया। इस खेल में कुल 14 देशों ने हिस्सा लिया था।

 

नया नाम 'ब्रिटिश एंपायर एंड कॉमनवेल्थ गेम्स' रखा गया। तब 24 देशों ने हिस्सा लिया। पहली बार इन खेलों का लाइव टेलीकास्ट प्रसारित हुआ था। साल 1958 तक, इस खेल के नियम बदलने लगे थे। कार्डिफ वेल्स में क्वीन बैटन रैली की शुरुआथ हुई, जिसमें बर्मिंघम पैलेस से क्वीन बैटन को लेकर आयोजन स्थल तक आय़ा जाता था। साल 1966 में जेमिका के किंग्सटन में ये खेल आयोजित हुए। बैडिमिंटन और शूटिंग को भी इन खेलों में जगह दी गई। 

ऐसे पड़ा कॉमनवेल्थ नाम 
साल 1970 में स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग में ओलंपिक खेल आयोजित हुए। नाम बदलकर ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स कर दिया गया। क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने इस खेल में कॉमनवेल्थ हेड के तौर पर हिस्सा लिया था। 1978 का कॉमनवेल्थ गेम कनाडा के एडमांटन में हुआ। इसके बाद से इन खेलों को सिर्फ कॉमनवेल्थ खेलों के तौर पर जाना गया। 

 

साल 1986 में भी दक्षिण अफ्रीकी देशों ने कॉमनवेल्थ खेलों का बहिष्कार किया था। साल 1990 तक विरोध कम हुए और कॉमनवेल्थ खेलों में कुल 55 देशों ने हिस्सा लिया। 1994 में साउथ अफ्रीका फिर कॉमनवेल्थ में शामिल हुआ। 1997 में आखिरी बार स्वतंत्र रूप से इस खेल में हॉन्ग कॉन्ग ने भी हिस्सा लिया था। अब यह देश, चीन के आधीन है। 

 

मलेशिया में 1998 में ये खेल आयोजित हुए। 70 देशों ने हिस्सा लिया। 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स खेले गए। 2014 में ग्लासगो, 2018 में गोल्ड कोस्ट, 2022 में बर्मिंघम और 2026 में ये खेल फिर से ग्लासगो में होने वाले हैं। तब से लेकर अब तक कॉमनवेल्थ खेलों का सिलसिला जारी है। 

 

गुलामी नहीं, दोस्ती का प्रतीक बन गया कॉमनवेल्थ
कॉमनवेल्थ गेम्स के बारे में कुछ लोग कहते हैं कि ये सिर्फ गुलाम देशों में खेला जाता है और इससे ब्रिटेश का दबदबा साबित होता है। यह बिलकुल नहीं है। जैसे एशियन गेम्स होते हैं, ओलंपिक गेम्स होते हैं, वैसे ही यह भी कुछ देशों का संगठन है, जो खेलों को आयोजित कराता है। भारत की कोई मजबूरी नहीं है कि वह कॉमनवेल्थ देशों का हिस्सा बने। भारत स्वेच्छा  से खेल भावना को बढ़ाने के लिए इस संघ का हिस्सा बना है। इसके पीछे गुलामी की कोई भावना नहीं है। 

Related Topic:

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap