उत्तर प्रदेश के आगरा के छिपीटोला में स्थित शाही हमाम को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, 26 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे तोड़ने पर रोक लगा दी थी जिससे यहां रहने वाले परिवारों को बड़ी राहत मिली। अब इस मुद्दे को लेकर आगरा की सामाजिक संस्थाओं ने एक मुहिम शुरू कर दी है।
शाही हमाम को बचाने के लिए आगरा के नागरिक एकजुट होकर विरोध जता रहे है। हर जगह 'अलविदा शाही हमाम' के पोस्टर लगाए गए और फूल चढ़ाए गए। इसके अलावा परिसरों में मोमबत्तियां जलाए गए। बता दें कि हमाम परिसर में लगभग 40 परिवार रहता है जिसे संकट का सामना करना पड़ रहा था।
1620 की ऐतिहासिक शाही हमाम
छीपी टोला में स्थित 1620 की इस ऐतिहासिक इमारत पर एक प्राइवेट बिल्डर ने कब्जा कर लिया है और इसे तोड़कर मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग बनाने का प्लान कर रहा है। इतिहासकारों के अनुसार, शाही हमाम को लाखौरी ईंटों और लाल बलुआ पत्थर से तैयार किया गया है जिसे अली वर्दी खान ने बनवाया था।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, कुछ साल पहले तक हमाम की स्थिति ठीक थी लेकिन धीरे-धीरे यह जर्जर होती गई जिसका फायदा ब्लिडर ने उठाया और बाउंड्री वॉल बनाकर शाही हमाम वाले एरिया को घेर लिया। बता दें कि इस इमारत के अहाते में लगभग 30 कमरे बने हुए है जिसका इस्तेमाल फल-सब्जी विक्रेता अपना सामान रखने के लिए करते थे। यहां कई परिवार भी रहते थे।
तोड़े गए कमरे और लोगों को जबरदस्ती घर से निकाला
अब तक 10 से 15 घरों को तोड़ा जा चुका है और स्थानीय निवासियों का आरोप है कि उन्हें जबरदस्ती घर से निकाला गया। इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए एक हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया जिसके तहत शाही हमाम को श्रद्धांजलि दी गई, पोस्टर रखकर इसे अलविदा कहा गया, फूल अर्पित किए गए। कई लोगों ने मोमबत्तियां जलाकर विरोध प्रदर्शन भी किए।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह ऐतिहासिक धरोहर 16वीं शताब्दी की है जिसे संरक्षित किया जाना बेहद आवश्यक है। लोग सोशल मीडिया के जरिए इस मामले को लेकर लोगों को आवाज उठाने की अपील कर रहे हैं। वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई। अगली सुनवाई 27 जनवरी 2025 को होगी।