पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में किसानों के लिए मुनाफा तो दूर की कौड़ी है, उनकी फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है। इससे सब्जी पैदा करने वाले किसानों में भारी गुस्सा है। अमरोहा के स्थानीय बाजारों में पिछले एक हफ्ते से फूलगोभी की फसल 1 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है।
फूलगोभी की फसल में हो रहे भारी नुकसान के डर से चिंतित किसानों ने अपनी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाकर नष्ट करना शुरू कर दिया है। अमरोहा के किसान आमतौर पर अपनी उपज स्थानीय बाजारों में बेचते हैं। इन बाजारों से होते हुए सब्जियां दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड की बड़ी मंडियों में भेजी जाती है। जिले में इस सीजन में फूलगोभी की 5,000 हेक्टेयर से ज्यादा फसल बोई गई थी।
खुदरा बाजारों में 10-15 रुपये प्रति किलो गोभी
अमरोहा के स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले के खुदरा बाजारों में लोगों को यही फूलगोभी 10-15 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेची जा रही है। रेट में इतने भारी अंतर से बिचौलियों को फायदा होता है जबकि किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
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अमरोहा के मोहम्मदपुर पट्टी के किसान लाल सिंह सैनी ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा, 'फूलगोभी और पत्तागोभी की खेती में प्रति बीघा 8,000 से 10,000 रुपए से ज्यादा का खर्च आता है। शुरुआत में थोक भाव स्थिर थे। दिसंबर-जनवरी में थोक बाजार में भाव 30-40 रुपए थे, लेकिन सप्लाई बढ़ने पर भाव गिर गए। अब किसानों को खेत खाली करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।'
दिल्ली में फूलगोभी 300 रुपये प्रति क्विंटल
उन्होंने बताया कि दिल्ली में फूलगोभी करीब 300 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। सैनी ने कहा, 'लेकिन हमें अपनी फसल को दिल्ली में ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट में बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता है, जिसे हम नहीं दे सकते।' अमरोहा में कल्याणपुरा गांव के किसानों ने सबसे ज्यादा फूलगोभी की फसल बोई है। स्थानीय ग्रामीण महेंद्र सैनी ने कहा, 'फूलगोभी हमारे लिए बहुत घाटे का सौदा साबित हुई। मैंने इसे 8 बीघे में उगाया था। अगली फसल में देरी से बचने के लिए हमें खेत खाली करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।'
क्यों घटे दाम?
वहीं, अमरोहा के जिला बागवानी अधिकारी संतोष कुमार ने इस मामले पर कहा कि पिछले साल किसानों को इसी फसल के अच्छे दाम मिले थे। यही वजह है कि इस साल भी अमरोहा में फसल बड़े पैमाने पर उगाई गई। किसानों ने फूलगोभी बुवाई भी इसी समय की है इसलिए फूलगोभी बड़ी मात्रा में तैयार हो गई। इसका असर बाजार पर पड़ा और कीमतें औने-पौने दाम में हो गई हैं।