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असम: दशकों पुरानी 'नमाज ब्रेक परंपरा' क्यों हुई खत्म? इनसाइड स्टोरी

असम विधानसभा में 90 साल पुरानी '2 घंटे की नमाज ब्रेक' की परंपरा खत्म हो गई है। विपक्षी पार्टी AIUDF और कांग्रेस ने असम विधानसभा के इस निर्णय की आलोचना की।

'Namaz Break’ Tradition

नमाज ब्रेक, photo Credit: Pixabay

असम विधानसभा में 'नमाज ब्रेक' की परंपरा 90 साल पुरानी थी, जिसे हाल ही में समाप्त कर दिया गया। इस परंपरा के तहत, शुक्रवार को मुस्लिम विधायकों को दोपहर की नमाज (जुमे की नमाज) अदा करने के लिए दो घंटे का स्पेशल ब्रेक दिया जाता था।

 

दरअसल, यह परंपरा 1937 में ब्रिटिश शासन के दौरान मुस्लिम लीग के तत्कालीन मुख्यमंत्री सैयद मोहम्मद सादुल्ला ने शुरू की थी। इसका उद्देश्य यह था कि मुस्लिम विधायक शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही से समय निकालकर मस्जिद जाकर जुमे की नमाज पढ़ सकें। यह ब्रेक दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 30 मिनट तक दिया जाता था। 

 

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90 साल बाद इस परंपरा को खत्म क्यों किया गया? 

असम विधानसभा ने 21 फरवरी, 2025 को मुस्लिम विधायकों को 'नमाज' अदा करने के लिए दिए जाने वाले दो घंटे के ब्रेक की दशकों पुरानी परंपरा को समाप्त कर दिया है। दरअसल, अगस्त 2024 में असम विधानसभा के नियम समिति (Rules Committee) ने इस प्रथा को खत्म करने का फैसला लिया था। 23 फरवरी 2024 को विधानसभा में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने कहा कि यह परंपरा संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के अनुरूप नहीं है, इसलिए इसे खत्म किया गया। वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे 'औपनिवेशिक विरासत से मुक्ति' बताया और कहा कि अब असम विधानसभा शुक्रवार को भी अन्य दिनों की तरह सामान्य रूप से चलेगी।

 

क्या था 'नमाज ब्रेक' परंपरा का मतलब?

नमाज ब्रेक परंपरा का मतलब था कि असम विधानसभा में मुस्लिम विधायकों को शुक्रवार (जुमे) की नमाज अदा करने के लिए 2 घंटे की स्पेशल छुट्टी दी जाती थी। इस नमाज ब्रेक के दौरान विधानसभा कार्यवाही रुक जाती थी। जैसे शुक्रवार को दोपहर में जब नमाज का समय होता था, तब विधानसभा की कार्यवाही 2 घंटे के लिए रोक दी जाती थी। यह ब्रेक दोपहर 12:30 बजे से 2:30 बजे तक दिया जाता था। इस ब्रेक के दौरान मुस्लिम विधायक और अधिकारी विधानसभा से बाहर जाकर मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ सकते थे। इस ब्रेक के कारण शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही कम समय के लिए चलती थी। बता दें कि इस परंपरा का उद्देश्य मुस्लिम विधायकों को शुक्रवार की विशेष जुमे की नमाज अदा करने के लिए समय देना था।

 

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इस फैसले पर विवाद क्यों? 

विपक्षी पार्टी AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) और कांग्रेस ने असम विधानसभा के इस निर्णय की आलोचना की। AIUDF विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा कि यह निर्णय मुस्लिम विधायकों के धार्मिक अधिकारों का हनन है। विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने मांग की कि मुस्लिम विधायकों को नमाज पढ़ने के लिए किसी अन्य व्यवस्था का प्रावधान किया जाए।


अब क्या होगा?

अब से असम विधानसभा शुक्रवार को बिना किसी ब्रेक के सामान्य रूप से चलेगी, जैसे बाकी दिनों में होती है। अब 90 वर्षों से चली आ रही यह परंपरा खत्म हो गई है और असम विधानसभा में हर शुक्रवार को बिना किसी स्पेशल छुट्टी के काम होगा।  

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