असम सरकार, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में, अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। हाल की खबरों के अनुसार, सरकार ने उन लोगों को लक्षित किया है जिन्हें फॉरेनर्स ट्राइब्यूनल ने अवैध विदेशी नागरिक घोषित किया है। 27 और 29 मई के बीच, पश्चिमी और दक्षिणी असम से कम से कम 49 ऐसे व्यक्तियों को भारत-बांग्लादेश सीमा पर नो-मैन्स लैंड में वापस भेजा गया।
असम पुलिस ने गुप्त सूचनाओं और विशेष अभियानों के आधार पर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा। 24 मई को मोरीगांव जिले में नौ बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया, जो फॉरेनर्स ट्राइब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किए जाने के बावजूद भारत में रह रहे थे। इनके खिलाफ हाई कोर्ट से याचिकाएं खारिज हो चुकी थीं।
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नो-मैन्स लैंड में वापसी
सरकार ने इन व्यक्तियों को भारत-बांग्लादेश सीमा पर नो-मैन्स लैंड में भेज दिया, जो दोनों देशों के बीच का वह क्षेत्र है जो किसी भी देश के पूर्ण नियंत्रण में नहीं होता। 27 और 29 मई को 49 लोगों को इस तरह वापस भेजा गया। हिमंत बिस्वा सरमा ने 30 मई को कहा कि पिछले कई सालों में, विभिन्न ट्राइब्यूनलों ने 30,000 लोगों को अवैध विदेशी घोषित किया, जो बाद में गायब हो गए। उन्होंने बताया कि एनआरसी अपडेट के दौरान रुकी इस प्रक्रिया को अब तेज कर दिया गया हैऔर कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2025 के निर्देश का हवाला देते हुए, सरमा ने कहा कि जिन्होंने अपील नहीं की, उन्हें तत्काल वापस भेजा जाएगा।बता दें कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और फॉरेनर्स ट्राइब्यूनल के फैसलों के बाद किया जा रहा है। जिन लोगों ने हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं की, उनका भारत में रहने का अधिकार समाप्त हो गया।
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बांग्लादेश की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश ने इस प्रक्रिया को 'अस्वीकार्य' बताया। बांग्लादेश सेना के ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद नजीम-उद-दौला ने 26 मईको कहा कि बिना कूटनीतिक प्रक्रिया के अवैध प्रवासियों को सीमा पर ढकेलना उचित नहीं है। बांग्लादेश सरकार के गृह मामलों के सलाहकार ले. जनरल (रि.) जहांगीर आलम ने इस मुद्दे को कूटनीतिक स्तर पर हल करने की मांग की।