भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का जहरीला कचरा हटाया जाएगा। फैक्ट्री में 377 मीट्रिक टन कचरा जमा हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश पर इस कचरे को हटाया जा रहा है। इस कचरे को भोपाल से पीथमपुर ले जाया जाएगा। हालांकि, इस कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध भी हो रहा है। रविवार से ही पीथमपुर के स्थानीय लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं।
12 कंटेनर में भरकर ले जाया जा रहा कचरा
फैक्ट्री के अंदर 377 मीट्रिक टन कचरा थैलियों में भरकर रखा गया है। इसे खास जंबू बैग में पैक कर ले जाया जा रहा है। 12 कंटेनर में भरकर ये कचरा पीथमपुर ले जाया जाएगा। फैक्ट्री के आसपास सुरक्षा के काफी इंतजाम किए गए हैं। ये कचरा भोपाल से करीब 250 किलोमीटर दूर इंदौर के पीथमपुर में जलाया जाएगा।
हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही कार्रवाई
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर को फैक्ट्री से जहरीले कचरे को हटाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने अधिकारियों को 4 हफ्ते का वक्त दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी यहां कचरा जमा है, जो एक और आपका का कारण बन सकता है। जस्टिस एसके कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था, 'हम ये नहीं समझ पा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर इस अदालत तक के आदेश के बावजूद कचरे को हटाने को लेकर कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया है।' अब इस मामले में 6 जनवरी को सुनवाई होगी।
3 जनवरी तक पूरा होगा काम
गैस राहत और पुनर्विकास विभाग के डायरेक्टर स्वतंत्र सिंह ने बताया कि भोपाल से पीथमपुर तक 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है, ताकि कम समय में ज्यादा से ज्यादा कचरा भेजा जा सके। कचरे का निपटान पूरा होने की उन्होंने कोई तारीख तो नहीं दी। हालांकि, ये जरूर कहा कि 3 जनवरी तक सारा कचरा पीथमपुर पहुंच जाएगा। उन्होंने बताया कि कचरा जलाने के बाद अवशेष (राख) की जांच की जाएगी, ताकि पता लगाया जा सके कि कोई हानिकारक तत्व तो नहीं हैं।
आसपास नहीं फैलेगी जहरीली हवा
स्वतंत्र सिंह ने बताया कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो 3 महीने में कचरे का निपटान हो जाएगा, वरना इसमें 9 महीने का समय लग सकता है। उन्होंने बताया कि इंसिनरेटर से निकलने वाले धुएं को 4 परत वाले विशेष फिल्टर से गुजारा जाएगा, ताकि आसपास की हवा प्रदूषित न हो। उन्होंने बताया कि एक बार जब अपशिष्ट को जला दिया जाएगा तो इसे लैंडफिल साइट में दफना दिया जाएगा।
स्थानीय लोगों का दावा है कि 2015 में जब ट्रायल के तौर पर पीथमपुर में इस कचरे को जलाया गया था तो इससे आसपास की मिट्टी और पानी दूषित हो गए थे। हालांकि, सिंह ने उनके इस दावे को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि 2015 के ट्रायल की रिपोर्ट के आधार पर ही पीथमपुर में कचरा जलाने का फैसला लिया गया।
पीथमपुर में हो रहा विरोध
पीथमपुर में जब इस कचरे को जलाने की खबर फैली तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। बड़ी संख्या में लोगों ने काली पट्टी बांधकर इसका विरोध किया। एक प्रदर्शनकारी राजेश चौधरी ने कहा कि यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने से पहले पीथमपुर की वायु गुणवत्ता की जांच की जानी चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने 'हम पीथमपुर को भोपाल नहीं बनने देंगे' और 'पीथमपुर को बचाएं' जैसे नारे लिखी तख्तियों के साथ विरोध किया।
2-3 दिसंबर 1984 को हुआ था हादसा
2 और 3 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसो साइनेट गैस लीक हो गई थी। इससे 5,749 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि, लाखों लोग अपंग हो गए थे।