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M-Y से मुसहर तक, बिहार में राजनीतिक दलों का 'जाति' समीकरण क्या है?

बिहार में विधानसभा चुनाव अब बेहद करीब हैं। औपचारिक तौर पर तारीखों का ऐलान होना बाकी है। चुनाव से पहले ही सियासी पार्टियां, अपने-अपने जातिगत समीकरणों को साधने में जुट गई हैं। पढ़ें बिहार के जाति फैक्टर की पूरी कहानी।

Bihar Politics

नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, असदुद्दीन ओवैसी। (Photo Credit: Social Media)

बिहार में जातिगत जनगणना पर पक्ष और विपक्ष किसी एक मुद्दे पर एक हुआ है तो वह जाति है। बात 23 अगस्त 2021 की है। नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोग से राज्य के मुख्यमंत्री थे। इसी दिन, उन्होंने 10 विपक्षी नेताओं के प्रमुखों को बुलाया और प्लेन पर सवार होकर पटना से दिल्ली के रवाना हुए। उनके साथ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, विकास शील इंसान पार्टी के चीफ मुकेश सहनी और अन्य राजनीतिक दलों के भी लोग शामिल थे। सबकी एक ही मांग थी कि जातिगत जनगणना की मंजूरी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार दे दे। 

बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर अदालतों से लेकर विधानसभा तक लंबी जंग चली। साल 2022 में नीतीश कुमार, बीजेपी पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाकर अलग हुए। 2 अक्तूबर 2023 में बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए। बिहार में 'जाति' जनणना की मांग एक अरसे तक बीजेपी को छोड़कर एनडीए के सहयोगी दल भी करते रहे। 

जब बिहार के सारे दल, जातिगत जनगणना की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे, तब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था, 'जातीय जनगणना बिहार की जनता में गरीबों में भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं है। इन्हें रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि 33 साल, 18 साल नीतीश बाबू और 15 साल लालू यादव, ये दोनों ने मिलकर राज किया और गरीबों का क्या उद्धार किया?'


बिहार में 'जाति' फैक्टर दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा मुखर क्यों नजर आती है, बिहार की सियासी पार्टियां, किन जातियों की सियासत करती हैं, इन्हें विस्तार से समझते हैं- 

 

राष्ट्रीय जनता दल  

RJD पर आरोप लगते रहे हैं कि यह पार्टी 'मुस्लिम-यादव' फैक्टर को भुनाती है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव खुलकर कहते रहे हैं कि वह पिछड़ी जातियों के नेता हैं। तेजस्वी यादव भी सियासी भाषणों में जातिवाद के खिलाफ राजद ने साल 2020 के विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा 75 सीटें हासिल की थीं। ओबीसी और अन्य पिछड़ी जातियों का भी समर्थन पार्टी को मिलता रहा है। जब केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना का ऐलान किया, तब बीजेपी से ज्यादा जातिगत जनगणना का क्रेडिट तेजस्वी यादव ले गए। उन्होंने दावा किया कि यह आरजेडी की सफलता है कि देश में जातिगत जनगणना हो रही है। बिहार में यादव समाज की आबादी 14.3 प्रतिशत है, वहीं मुस्लिम आबादी करीब 17.7 प्रतिशत है। 


जेडीयू

 जेडीयू के पास आरजेडी और बीजेपी की तुलना में कम सीटें हैं लेकिन सत्ता की धुरी इसी पार्टी के इर्द-गिर्द घूमती है। इस पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार हैं। साल 2000 के बाद से ही राज्य में वह लगातार मुख्यमंत्री बने रहे हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि किसी पार्टी की कितनी भी सीटें आएं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। उन्होंने 2013 से 2022 तक उन्होंने कई बार पारा बदला। जेडीयू का कोर वोट बैंक, सियासी जानकार 'कुर्मी और कोइरी' समाज को मानते हैं। आर्थिक तौर पर पिछड़ी जातियां और कुछ हिस्सों में अल्पसंख्यक भी नीतीश कुमार के वोटर माने जाते हैं। नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी भी खूब चर्चा में रही है। नीतीश कुमार खुद कुर्मी समाज से आते हैं। कोइरी समाज की संख्या 4.2 प्रतिशत है। कुर्मी समाज की आबादी 2.87 प्रतिशत है। जनता दल यूनाइटेड के 43 विधायक हैं।

 

कांग्रेस

कांग्रेस जातिगत जनगणना पर बेहद मुखर रही है। राहुल गांधी सार्वजनिक मंचों से कहते रहे हैं कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी। वह साल 2024 के लोकसभा चुनावों में भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। कांग्रेस का अल्पसंख्यक समुदाय में मजबूत पकड़ माना जाता है। अब दलित और पिछड़ी जातियों के लोग कांग्रेस से जुड़े हैं। अल्पसंख्यक वोटरों की संख्या करीब 17 प्रतिशत है। कांग्रेस के वोटर मिश्रित आबादी वाले हैं। सवर्ण, दलित और ओबीसी जातियां भी वोट करती हैं। कांग्रेस पार्टी के कुल 19 विधायक हैं। 


बीजेपी

बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर राजनीति करती है। बीजेपी के कोर वोटर सवर्ण और कुछ अन्य पिछड़ी जातियां मानी जाती हैं। ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत, वैश्य, कायस्थ वर्ग पर बीजेपी की मजबूत पकड़ रही है। बिहार विधानसभा में बीजेपी के विधायकों की संख्या 74 है। बिहार में 2.86 प्रतिशत भूमिहार, 0.6 प्रतिशक कायस्थ, 3.45 प्रतिशत राजपूत, 3.65 प्रतिश ब्राह्मण वोटर हैं। 

अन्य पिछड़ी जातियों में अब बीजेपी के साथ कुशवाहा वोटर भी जुड़े हैं, जिनकी आबादी 4.2 प्रतिशत है। 1.59 प्रतिशत आबादी बिहार में नाई समाज की है। इस वर्ग में भी बीजेपी की पकड़ मानी जाती है, बढ़ई और दूरी अन्य पिछड़ी जातियों में भी अब बीजेपी पैठ बना रही है। 

 

CPI(ML)


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के बिहार में 12 विधायक हैं। बिहार में दलित, महादलित और कुछ अल्पसंख्यक तबकों में इस पार्टी की पकड़ है। बिहार में अनुसूचित जाति की आबादी 19 फीसदी है। अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 प्रतिशत है। अल्संख्यक 17 फीसदी है। हालांकि लेफ्ट की पार्टियां जातिवाद में भरोसा नहीं करती हैं। 

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लोक जन शक्ति पार्टी, राम विलास


पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान, पासवान समुदाय से आते थे। बिहार में पासवान समुदाय को दुसाध के तौर पर भी जानते हैं। इस समाज के लोग सबसे ताकतवर जाति सम वोटर, मजबूत स्थिति में हैं। अब इस पार्टी के कर्ता-धर्ता चिराग पासवान हैं। साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी की 5 सीटें आई हैं, वह केंद्र में खाद्य और प्रसंस्करण मंत्री हैं। बिहार विधानसभा में वह एनडीए गठबंधन का हिस्सा साल 2020 में नहीं थे। तब उनकी सिर्फ 1 सीट पर जीत हुई थी।  बिहार में इस समुदाय की आबादी 5.23 प्रतिशत है। 

 

हिंदुस्तान आवाम मोर्चा


 हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी हैं। यह पार्टी महा दलित समुदाय कहे जाने वर्ग में मजबूत पकड़ रखती है। मुसहर-भुइयां समाज की आबादी बिहार में करीब 3 प्रतिशत है। जीतन राम मांझी, इस समाज के बड़े नेता हैं। उनकी पार्टी की सियासत, अति दलित के इर्द-गिर्द घूम रही है। इस पार्टी की विधानसभा में 4 सीटें हैं।


विकासशील इंसान पार्टी


मुकेश सहनी इस पार्टी के सबसे बड़े चेहरे हैं। उनकी सियासत निषाद राजनीति के इर्द-गिर्द घूमती है। यह पार्टी, अब इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है। बिहार विधानसभा में 4 सीटें इस पार्टी के पास हैं।  निषाद-मल्लाह जाति की आबादी बिहार में करीब 2.3 प्रतिशत है।
 


ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन


AIMIM का अल्पसंख्यक समुदाय पर मजबूत पकड़ है। बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 17 फीसदी है। साल 2020 में इस पार्टी ने अपने दम पर कुल 5 सीटें हासिल की थीं। पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी हैं। 




राष्ट्रीय लोक मोर्चा


 उपेंद्र कुशवाहा इस पार्टी के नेता हैं। उनकी पार्टी 2020 में एक भी सीट नहीं जीत पाई। बिहार में कुशवाहा समुदाय, मजबूत समुदाय माना जाता है। इस समुदाय की आबादी 4.27 प्रतिशत है। 

 

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