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आंध्र प्रदेश में बर्ड फ्लू से बच्ची की मौत, सरकार ने जारी किया अलर्ट

आंध्र प्रदेश में बर्ड बच्ची ने कच्चा चिकन खा लिया था जिसकी वजह से यह घटना हुई। सरकार ने व्यापक स्तर पर जांच करने का आदेश दिया है और गाइडलाइन्स जारी की हैं।

bird flu representational image । Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

आंध्र प्रदेश के पालनाडु जिले के नारासराओपेट में दो साल की एक बच्ची की बर्ड फ्लू की वजह से मौत हो गई। इसके बाद सरकार ने पूरे राज्य में तेज बुखार वाले लोगों की स्क्रीनिंग करने का आदेश दे दिया है।  भारत में H5N1 से मौत होने का यह दूसरा मामला है। इसके पहले साल 2021 में एम्स में 11 साल के एक बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। 

 

बच्ची की मौत 16 मार्च को हो गई थी। बच्ची के पिता ने मीडिया को बताया कि 27 फरवरी को उसने अपनी मां से पकाते वक्त मांगकर कच्चा चिकन खा लिया था। दो दिन बाद उसे तेज बुखार और दस्त होने लगा।  इसके बाद उसे 4 मार्च को एम्स मंगलागिरी में भर्ती कराया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसकी नाक और मुंह से स्वॉब का सैंपल लिया और उसे टेस्टिंग के लिए भेजा। करीबा 14 दिन तक चले इलाज के बावजूद उसकी मौत हो गई। बाद में एनआईवी पुणे और आईसीएमआर ने बताया कि उसकी मौत बर्ड फ्लू के लिए जिम्मेदार वायरस H5N1 से हुई है।

 

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चेकअप का दिया आदेश

राज्य से सभी जिलों के डॉक्टरों को आदेश दिया गया है कि जो लोग भी हेल्थ सेंटर या अस्पतालों में चेकअप के लिए आ रहे हैं उनका बुखार और अन्य जांच की जाए। हालांकि, सरकार ने किसी भी तरह की इमरजेंसी या बर्ड फ्लू आउटब्रेक की बात से इनकार किया है। राज्य के कई जिलों में करीब पांच पोल्ट्री फार्म से मुर्गियों के एच5एन1 से ग्रस्त होने की खबर मिली है और सरकारी अधिकारियों ने इन फार्म्स से सैकड़ों मुर्गियों को खत्म कर दिया है ताकि यह और ज्यादा न फैले।

 

इसके प्रसार को रोकने के लिए सरकार ने गाइडलाइन्स जारी की हैं और इन्हें कलेक्टर के पास भेजा गया है। गाइडलाइन के मुताबिक संक्रमित एरिया के एक किलोमीटर के रेडियस को रेड जोन घोषित किया गया है और इस क्षेत्र में मूवमेंट और किसी जानवर को खिलाने पिलाने पर रोक लगाई गई है।

 

क्या है एच5एन1

यह एक तरह का वायरस है जो कि चिड़ियों में पाया जाता है और इसके कारण उनमें सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी देखने को मिलती है। वैसे तो यह मनुष्यों में नहीं पाया जाता है लेकिन अगर किसी तरह से यह मनुष्यों में फैल जाए तो इसमें जिंदा बचने की संभावना काफी कम होती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि इसमें मॉर्टेलिटी रेट 60 पर्सेंट होती है जबकि कोविड के खतरनाक वैरिएंट में भी मॉर्टेलिटी रेट 3 प्रतिशत थी।


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कब आया पहला मामला

बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में रिकॉर्ड किया गया था जब हॉन्कॉन्ग की एक पॉल्ट्री में इसका फैलाव देखने को मिला था। हालांकि आमतौर पर मनुष्यों में मामले ज्यादातर एशिया से ही देखने को मिले हैं लेकिन थोड़े बहुत मामले यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका से भी आए हैं। यह सारे मामले उन लोगों में पाए गए हैं जो कि बर्ड्स के साथ काफी नजदीक में रहे हैं।

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