कश्मीर में 'चिल्लई कलां' के दस्तक देते ही श्रीनगर में पिछले 50 सालों में दिसंबर की सबसे ठंडी रात शनिवार को दर्ज की गई। कश्मीर घाटी में 40 दिनों की कठोर सर्दी को चिल्लई कलां कहते हैं। शनिवार (21 दिसंबर) रात को श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 8.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। यह 1974 के बाद से श्रीनगर की सबसे ठंडी दिसंबर की रात थी।
वर्ष 1974 में शहर में न्यूनतम तापमान शून्य से 10.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया था जो 1891 के बाद से यह तीसरी सबसे ठंडी रात थी। बता दें कि भीषण ठंड के कारण कश्मीर की मशहूर डल झील बर्फ से जम गईं है।
कब-कब कितना रहा तामपान?
- 1974 में श्रीनगर में 'चिल्लई कलां' के दस्तक देते ही तापमान 10.3 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था।
- 13 दिसंबर 1934 को शून्य से 12.8 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया था तापमान।
- 24 साल में सबसे कम तापमान 28 दिसंबर 2018 को दर्ज किया गया था, पारा -7.7 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था।
- काजीगुंड में न्यूनतम तापमान माइनस 8.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, पिछली रात यह माइनस 7.6 डिग्री सेल्सियस था।
चिल्लई का मतलब क्या?
चिल्लई एक फारसी शब्द है जिसे हिंदी में बहुत अधिक ठंड कहते है। अब अगले 40 दिन जम्मू-कश्मीर में बहुत ज्यादा बर्फबारी होगी। 133 साल में तीसरी बार श्रीनगर में तापमान -8.5 डिग्री तक पहुंचा है। चिल्लई कलां को 'शहंशाह-ए-जमिस्तान' के नाम से भी जाना जाता है। यह 21 दिसंबर से शुरू होकर 29 जनवरी को समाप्त होगा।
चिल्लई कलां के दौरान कैसा होता है लोगों का हाल?
चिल्लई कलां के दौरान ठंड और बढ़ जाती है, जबकि भारी बर्फबारी और तापमान शून्य से काफी नीचे चले जाने के कारण जलाशय और यहां तक कि घरों में पानी के नल भी जम जाते हैं। चालीस दिनों के दौरान चिल्लई कलां लोगों को मुश्किल से मुश्किल हालात से गुजरना पड़ता है। आमतौर पर चिल्लई कलां में बर्फीली हवाओं के कारण पूरी घाटी कड़ाके की ठंड की चपेट में आ जाती है।