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दिल्ली की हवा सुधरी, हटा GRAP-4, जानें क्या होंगे बदलाव

दिल्ली की वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ है जिसकी वजह से फिलहाल ग्रैप-4 प्रतिबंध हटा दिया गया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर । पीटीआई

दिल्ली की हवा में थोड़ा सा सुधार हुआ है, जिसकी वजह ग्रैप-4 को हटा दिया गया है। दिल्ली की हवा में मंगलवार को सुबह से ही लगातार सुधार होता दिखा। शाम के 5 बजे एक्यूआई 364 के स्तर पर था जो कि 'बहुत खराब' श्रेणी में था लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा ग्रैप-4 लागू करने के मानक से 36 नीचे था।

 

हालांकि, स्टेज- 1,2, 3 के तहत लागू प्रतिबंध जारी रहेंगे। सीएक्यूएम (कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट) ने कहा, 'ग्रैप स्टेज-1,2,3 लागू रहेगा, ताकि वायु की गुणवत्ता को दोबारा खराब होने से रोका जा सके।'

दोबारा लागू हुआ था ग्रैप-4

एक बार दिल्ली की हवा में सुधार देखने के बाद, यह फिर से खराब हो गई थी जिसकी वजह से ग्रैप-4 को दोबारा लागू करना पड़ा था। दिल्ली की हवा सुधर कर ग्रैप-2 के स्तर तक पहुंच गई थी इसके बाद 16  दिसंबर को वायु गुणवत्ता खराब होने की वजह से इसे फिर से लागू कर दिया गया था।

बहुत सुधार की संभावना नहीं

हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले कुछ दिनों में वायु की गुणवत्ता में बहुत ज्यादा सुधार होने की संभावना नहीं है। भारतीय मौसम विभाग द्वारा दिए गए डेटा के मुताबिक इसके 'बहुत खराब' कैटेगरी में रहने का अनुमान है। लेकिन इस स्थिति में भी दिल्ली एनसीआर के लोगों को ग्रैप-4 के प्रतिबंधों से राहत रहेगी।

AQI के चार चरण

बता दें कि ग्रैप का पहला चरण तब लागू किया जाता है जब AQI 'खराब' श्रेणी (201 से 300) के बीच में आता है। इसका दूसरा चरण 301 से 400 के बीच के AQI आने पर लागू होता है जबकि तीसरा AQI 'गंभीर' श्रेणी (401 से 450) के बीच में आने के बाद लागू होता है। वहीं, 450 से अधिक AQI को 'गंभीर प्लस' श्रेणी में रखा जाता है। इसमें ग्रैप के चौथे चरण के प्रतिबंध लागू होते हैं।

क्या लगते हैं प्रतिबंध

ग्रैप-4 प्रतिबंध लगने से दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाले गैर-जरूरी ट्रकों के प्रवेश पर रोक लग जाती है।  कक्षा 10 और 12 के स्टूडेंट्स को छोड़कर बाकी के छात्रों के लिए स्कूल हाइब्रिड मोड में कक्षाएं ले सकते हैं।

हर साल खराब होती है हालत

दिल्ली में लगभग हर साल वायु की गुणवत्ता खराब होती है। इसके मूल कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआं, फसलों का जलाया जाना और हवा की कम गति शामिल होते हैं। हवा की कम गति की वजह से वायु प्रदूषक तत्व वायुमंडल के ऊपरी परत में नहीं जा पाते।

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