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7 नहीं 8 वचन लेकर की शादी, 8वां वचन सुनकर हर कोई रह गया हैरान

उत्तर प्रदेश के इटावा की एक शादी में जोड़े ने सात के बजाय 8 वचन लिए। अतुल और लवी ने अपनी शादी में आठ वचन लिए और आठवें वचन में जोड़े ने देहदान-अंगदान का संकल्प लिया। इस पहल पर लोग इस जोड़े की तारीफ कर रहे हैं।

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अतुल और लवी, Photo Credit: The great india/x

हिंदू संस्कृति में शादी में सात फेरों के सात वचन निभाने की कसमें खाई जाती हैं लेकिन उत्तर प्रदेश ( यूपी ) में एक अनोखी शादी हुई है जिसमें जोड़े ने सात नहीं आठ वचन लिए हैं। यह अनोखी शादी यूपी के इटावा में हुई है। इस जोड़े ने अपनी शादी में कुल आठ वचन लिए। आठवां वचन देहदान-अंगदान का वचन था। जोड़े ने शादी के मंडप पर ही देहदान-अंगदान करने का फॉर्म भी भरा और इस तरह से दोनों ने अपनी शादी को यादगार बनाया। इस जोड़े की नई पहल की लोग तारीफ कर रहे हैं।

  

यह अनोखी शादी यूपी के इटावा के भरथना में हुई है। यह खास पहल खानपुरा कुसना के रहने वाले अतुल यादव और उनकी दुल्हन लवी ने की है। लवी और अतुल यादव ने शादी के सात वचनों के बाद मंडप पर ही आठवां वचन भी लिया। इस जोड़े ने आठवें वचन में देहदान-अंगदान का संकल्प लिया। यह सब देखकर वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए। लवी और अतुल की इस अनोखी पहल की लोग तारीफ कर रहे हैं।

 

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क्या बोला दूल्हा?


इस पहल के बारे में पूछे जाने पर दूल्हे ने बताया कि वह सैफई मेडिकल कालेज में काम करता है और उसे 'युग दधीचि देहदान अभियान' के बारे में जानकारी थी। अतुल ने पहले से तय कर रखा था कि वह अपनी शादी पर देहदान का संकल्प लेगा और इसके लिए उसे उसकी पत्नी लवी का भी साथ मिल गया। इस जोड़े के फैसले की जानकारी दोनों के परिवारों को थी। अतुल यादव का कहना है कि शरीर के अंग खराब होने के कारण कई लोगों की मौत हो जाती है। अतुल ने कहा, 'मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि शरीर का अंग खराब होने की वजह से किसी की मौत न हो। अगर लोग देहदान-अंगदान करेंगे तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।'

 

शादी में लिया संकल्प


अतुल यादव और लवी ने देहदान का संकल्प अपनी शादी में ही लिया। जोड़े ने शादी में ही देहदान से जुड़ी कागजी औपचारिकताएं पूरी कर दी। अतुल ने जिस मैडिकल कालेज में वह काम करता है उसके स्टाफ को भी बुलाया था। इसी मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नित्यानंद ने अतुल और लवी से देहदान का फार्म भरवाकर हस्ताक्षर कराए। इसके साथ ही उन्हें प्रमाण पत्र भी दिया। 

 

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क्या है युग दधीचि देहदान अभियान


अतुल और लवी ने युग दधीचि देहदान अभियान के तहत देहदान का फैसला लिया। अतुल ने बताया कि यह अभियान कानपुर के रहने वाले मनोज सेंगर और माधवी सेंगर ने साल 2003 में उस समय के यूपी के राज्यपाल आचार्य विष्णुकांत की अपील पर  शुरू किया था। उनका कहना है कि इस अभियान को अब पूरे प्रदेश में पहचान मिल गई है। इस अभियान के तहत अब तक 4 हजार से ज्यादा लोग देहदान का संकल्प ले चुके हैं। राज्य के मेडिकल संस्थानों को इस अभियान से अब तक 298 मृत शरीर शोध के लिए दान किए जा चुके हैं।  

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