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कर्ज लेने की लिमिट पूरी, पेंशन रुकी, कहां जा रहा है हिमाचल प्रदेश?

कभी कर्मचारियों की सैलरी रुक रही है तो कभी पूर्व कर्मचारियों की पेंशन आने में देरी हो रही है। अब हिमाचल प्रदेश लोने लेने की लिमिट भी पार कर चुका है।

Sukhwinder Singh Sukhu

सुखविंदर सिंह सुक्खू, Photo: Sukhwinder Singh Sukhu X Handle

आर्थिक संकट से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश की हालत दिन-ब-दिन बुरी होती जा रही है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश ने 500 करोड़ रुपये का कर्ज और ले लिया है। इसी के साथ हिमाचल प्रदेश इस साल लोन लेने की अधिकतम सीमा 6200 करोड़ रुपये को भी पार कर चुका है। राज्य के पास कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन देने के पैसे नहीं हैं लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली सरकार अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होने का जश्न मनाने जा रही है। इसको लेकर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सवाल भी उठाए हैं। बीजेपी ने कहा है कि जब राज्य सरकार ने अपने वादे ही पूरे नहीं किए हैं तो जश्न किस बात का मनाना है?

 

इसी को लेकर बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि सुक्खू सरकार वादे तोड़ने की पर्यायवाची बन गई है। गौरव भाटिया ने दावा किया, 'बीजेपी की जयराम ठाकुर सरकार ने 1500 संस्थान  खोले थे जिन्हें कांग्रेस ने बंद कर दिया। आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर हिमकेयर योजना शुरू की गई थी। उसे भी बंद कर दिया गया। हम इस आयोजन को 'जश्न-ए-बर्बादी' कहते हैं।'

लगातार कर्ज ले रही हिमाचल सरकार

 

रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल के 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2024 के बीच की अधिकतम सीमा 6200 करोड़ रुपये तक का कर्ज ले लेने का बाद भी हिमाचल सरकार रुकी नहीं है। हिमाचल सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के आखिरी क्वार्टर के लिए लोन लेने का आवेदन कर दिया है। साल 2023-24 के आखिरी क्वार्टर के लिए लोन लेने की अधिकतम सीमा 1700 करोड़ रुपये थी।

 

अब राज्य सरकार ने जो 500 करोड़ रुपये का लोन पिछले हफ्ते लिया है, उसकी मदद से वह रिटायर हो चुके कर्मचारियों की पेंशन दे सकती है। बता दें कि इस महीने राज्य के 2.25 लाख सरकारी कर्मचारियों को उनके वेतन तो मिले हैं लेकिन रिटायर हो चुके कर्मचारियों को अभी तक उनकी पेंशन नहीं मिल पाई है। बता दें कि आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश को हर महीने 2000 करोड़ रुपये सिर्फ सैलरी और पेंशन देने के लिए ही चाहिए होते हैं।

क्यों संकट में है हिमाचल प्रदेश?

 

हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है और टूरिजम के अलावा अन्य कोई सेक्टर ऐसा नहीं है, जिससे उससे ज्यादा रेवेन्यू मिल सके। पैसों के लिए हिमाचल प्रदेश मुख्य रूप से केंद्र सरकार पर ही निर्भर रहता है। पैसों की कमी की वजह से हिमाचल प्रदेश दो महीने पहले भी चर्चा में आया था जब राज्य के कर्मचारियों और पेंशनरों को समय से पैसे ही नहीं मिल पाए थए। उस वक्त सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी कैबिनेट ने ऐलान किया था कि अगले कुछ महीने वे अपनी सैलरी नहीं लेंगे।

 

बता दें कि हिमाचल प्रदेश एक वित्त वर्ष में लगभग 8000 करोड़ रुपये तक का कर्ज ले सकता है लेकिन इतना कर्ज लेकर भी वह अपनी देनदारियां नहीं चुका सकता है। एक अधिकारी ने इस बारे में कहा, 'हम न्यू पेंशन स्कीम में अपने योगदान के बदले 1500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लोन ले सकते थे लेकिन पुरानी पेंशन योजना के लागू हो जाने के चलते हम वह भी नहीं ले सकते हैं।' बता दें कि कांग्रेस ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था और इसी वादे को पूरा करने के लिए उसने हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है।

 

इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश सरकार हर महीने महिलाओं को 1500 रुपये देती है। हिमाचल प्रदेश में मुफ्त बिजली की योजना भी शुरू की गई है जो उसके लिए समस्या का कारण बन रही है। 5 लाख महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देने की वजह से राज्य सरकार पर 800 करोड़ का वार्षिक बोझ पड़ रहा है। पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की वजह से हर साल 1000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।


कैसे चलेगा हिमाचल प्रदेश?

 

अगर हिमाचल प्रदेश की कुछ योजनाएं अपने मौजूदा स्वरूप में लागू रहीं तो आने वाला समय उसके लिए काफी मुश्किल हो सकता है। इस साल हिमाचल प्रदेश को केंद्र की ओर से 6258 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान मिला था लेकिन अगले साल यह घटकर लगभग आधा हो जाएगा। ऐसे में राज्य सरकार के पास और कम पैसे होंगे। हर महीने उसे 2000 करोड़ रुपये सिर्फ पेंशन और सैलरी में ही खर्च करने हैं। इसके अलावा, ओल्ड पेंशन स्कीम भी उसके लिए बोझ साबित हो रही है।

 

बता दें कि हिमाचल प्रदेश का कर्ज लगभग 90 हजार करोड़ तक पहुंच चुका है। साल 2018 में हिमाचल प्रदेश सरकार पर 47906 करोड़ रुपये था जो साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। बता दें कि पहले हिमाचल प्रदेश अपनी जीडीपी के 5 प्रतिशत के बराबर कर्ज ले सकता था लेकिन अब इसे घटाकर 3.5 पर्सेंट किया जा चुका है।

 

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