संभल के चंदौसी के लक्ष्मण गंज इलाके में अतिक्रमण विरोधी अभियान जारी है। इस दौरान एक बावड़ी मिली है जिसके बार में कहा जा रहा है कि यह 150 साल पुरानी है। इस दौरान एक सुरंग भी मिली है, जिसके बारे में संभावना जताई जा रही है कि ब्रिटिश राज के खिलाफ 1857 के विद्रोह के दौरान भागने के रास्ते के रूप में काम आई होगी। इसकी संरचना बांके बिहारी मंदिर के पास मिली है जो अब टूटे-फूटे हालात में मौजूद है।
संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने रविवार को मौके का निरीक्षण किया। पेंसिया ने कहा, 'बावड़ी 400 वर्ग मीटर में फैली हुई है और रेवेन्यू रिकॉर्ड में इसे तालाब के रूप में दर्ज किया गया है। नुकसान से बचने के लिए खुदाई सावधानी से चल रही है। साइट के आसपास के अतिक्रमण को भी हटाया जाएगा।'
19 कुओं का किया सर्वेक्षण
रविवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने क्षेत्र में पांच धार्मिक स्थलों और 19 कुओं का सर्वेक्षण किया, जिसमें नई खोजी गई जगह भी शामिल है। निरीक्षण करीब 10 घंटे तक चला और इसमें 24 स्थानों को शामिल किया गया। पेंसिया ने कहा, 'एएसआई के निष्कर्ष संभल की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने में हमारे अगले कदमों का मार्गदर्शन करेंगे।'
चंदौसी नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर के नेतृत्व में यहां खुदाई की जा रही है। अब तक लगभग 210 वर्ग मीटर जगह का पता चला है। सोनकर ने कहा, 'हम बाकी के क्षेत्रों के बारे में पता लगाने और संरचना को बहाल करने के लिए सावधानीपूर्वक काम कर रहे हैं।' स्थानीय लोगों का दावा है कि इस बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल के दौरान किया गया था।
1857 के विद्रोह से जुड़ा सुरंग
दरअसल इस संरचना में तीन स्तर हैं -दो संगमरमर से बने हैं और सबसे ऊपरी स्तर ईंटों से बना है। साथ ही एक कुआं और चार कक्ष हैं। निवासियों का मानना है कि सुरंग 1857 के विद्रोह से जुड़ी है। एक स्थानीय इतिहासकार का मानना है कि विद्रोह के दौरान क्रांतिकारियों की सुरक्षा के लिए भूमिगत कक्ष और सुरंग महत्वपूर्ण रहे होंगे। संभल के डीएम ने आश्वासन दिया कि मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर एएसआई द्वारा सर्वेक्षण कराया जा सकता है।