राजस्थान सरकार ने राज्य के विश्वविद्यालयों में अब 'कुलपति' नहीं होंगे। कुलपति का पदनाम बदलकर 'कुलगुरु' कर दिया गया है। सरकार का तर्क है कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के हिसाब से 'पति' शब्द ठीक नहीं है। विश्वविद्यालय विद्या के आश्रम हैं, इसलिए वहां 'कुलपति' की जगह 'कुलगुरु' शब्द ज्यादा उपयुक्त है। कुलगुरु' शब्द प्राचीन भारतीय गुरुकुल परंपरा से प्रेरित है। भारतीय दर्शन में गुरु का स्थान सर्वोपरि माना जाता है।
राजस्थान सरकार से पहले, मध्य प्रदेश सरकार कुलपति का नाम बदल चुकी है। मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपति का पदनाम बदलकर कुलगुरु किया जा चुका है। राजस्थान सरकार ने यह बदलाव 'राजस्थान यूनिवर्सिटीज अमेंडमेंट बिल-2025' पारित हो चुका है। यह कानून, सरकारी और प्राइवेट, दोनों तरह के विश्वविद्यालों पर लागू होगा।
कुलपति कैसे बने कुलगुरु?
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने आपत्ति जताई थी कि मध्य प्रदेश की तरह, राजस्थान में भी कुलपति की जगह कुलगुरु शब्द का प्रयोग होना चाहिए। 'पति' का कोई अर्थ, विश्वविद्यालय के संदर्भ में नहीं बनता है। विश्वविद्यालय, शिक्षा के केंद्र हैं, वहां पठन-पाठन होता है, विश्वविद्यालय आधुनिक गुरुकुल हैं, इसलिए यहां के मुखिया को कुलपति की जगह कुलगुरु कहना चाहिए।
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फैसले का असर क्या होगा?
मध्य प्रदेश में 32 सराकरी वित्त पोषित विश्वविद्यालय हैं। अब यहां कुलपति का नाम बदलकर कुलगुरु होगा, उपकुलपति का नाम बदलकर प्रतिकुलगुरु कर दिया गया है। यह बदलाव सिर्फ हिंदी के लिए है।
सरकार के तर्क क्या हैं?
राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने विधेयक को वक्त की जरूरत बताया। उनका तर्क है कि यह विश्वविद्यालयों को फिर से 'श्रद्धा का केंद्र' बनाएगा, इससे भारत की महान गुरु शिष्य परंपरा का पुनर्जागरण होगा।
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विपक्ष ने नए बदलावों पर क्या कहा?
नेता विपक्ष टीकाराम जूली ने कहा है कि नाम बदलने से कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा, जब तक विश्वविद्यालयों में वैदिक संस्कृति और सनातन धर्म के संस्कार नहीं आएंगे। निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भी इस बदलाव पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा है कि नाम बदलने की जगह यह घूस के दम पर कुलपतियों की नियुक्ति की परंपरा बदलनी चाहिए।
कुलपति का काम क्या होता है?
कुलपति किसी विश्वविद्यालय का सर्वोच्च प्रशासनिक और कार्यकारी अधिकारी होता है। विश्वविद्यालय की प्रशासनिक, आर्थिक, नियुक्ति और प्रमोशन जैसे अधिकार उनके पास होते हैं। वह विश्वविद्यालय के बजट और वित्तीय मामलों की भी निगरानी करते हैं। उनका काम विश्वविद्यालय में शिक्षा, अनुसंधान और अकादमिक गतिविधियों को बढ़ाना होता है। वे विश्वविद्यालय के नीतिगत फैसले लेते हैं, उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं। राज्यपाल सामान्य विश्वविद्यालयों, कृषि विश्वविद्यालयों, प्राविधिक विश्वविद्यालयों, चिकित्सा विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं।