'पावर' मिलते ही खामोश हो गए खेमका? समझिए साथी अफसर का इशारा
हरियाणा में 44 अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के बाद अधिकारियों के आपसी विवाद ट्विटर पर नजर आने लगे हैं। IAS संजीव वर्मा ने बिना नाम लिखे एक ट्वीट किया है जो अब चर्चा में है।

अशोक खेमका Photo: Social Media
IAS अधिकारी अशोक खेमका दर्जनों बार ट्रांसफर के लिए मशहूर हैं। 33 साल के करियर में लगभग 57 बार उनका ट्रांसफर हो चुका है यानी औसतन एक साल में दो बार उनका ट्रांसफर हो ही जाता है। अक्सर वह सोशल मीडिया पर अपना दुख बयां भी कर देते हैं। हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद अशोक खेमका ने खामोशी ओढ़ ली है। उनको इस बार बड़े विभाग में पद भी मिला है। यही वजह है कि उनके ही साथी IAS अधिकारी संजीव वर्मा ने बिना नाम लिखे अशोक खेमका पर निशाना साधा है। संजीव वर्मा का एक ट्वीट अब चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि संजीव वर्मा और अशोक खेमका की अदावत पुरानी रही है और एक बार तो ऐसा भी हो चुका है कि दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ एफआईआर भी करवा दी थी।
दरअसल, नई सरकार के गठन के बाद नायब सिंह सैनी ने कुल 44 अफसरों का ट्रांसफर कर दिया। इसी ट्रांसफर के तहत अशोक खेमका को ट्रांसपोर्ट विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया गया। ट्रांसपोर्ट विभाग इस बार वरिष्ठ नेता अनिल विज को मिला है। इससे पहले अशोक खेमका प्रिंटिंग और स्टेशनरी विभाग देख रहे थे जिसके बारे में कहा जाता है कि वह कम महत्व का पद है।
संजीव वर्मा ने क्या कहा?
IAS संजीव वर्मा ने एक ट्वीट करके जो कहा है वह अब चर्चा का विषय बना हुआ है। संजीव वर्मा बिना किसी का नाम लिए लिखते हैं, 'हरियाणा के एक आला अधिकारी कम महत्व का पद मिलते ही नाइंसाफी की दुहाई ट्विटर पर अक्सर मुखरता से देते रहे हैं। आज सुविधा मिलते ही जनाम खामोश हैं। कड़वा-कड़वा थू-थू, मीठा-मीठा गप-गप। देखते हैं, इस मिठास में जनाब की खामोशी कब तक बरकरार रहती है।
संजीव वर्मा मौजूदा समय में डिविजनल कमिश्नर के पद पर तैनात हैं। उनके ट्विटर हैंडल को देखें तो ज्यादातर ट्वीट इसी सांकेतिक भाषा में तंज कसते हुए ही लिखे हैं। ये ट्वीट दिखाते हैं कि संजीव वर्मा अपने विरोधियों पर निशाना साधने के लिए अक्सर ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, उनके इस ट्वीट पर किसी का कोई जवाब नहीं आया है।
हरियाणा के एक आला अधिकारी कम महत्व का पद मिलते ही नाइन्साफी की दुहाई टवीटर पर अक्सर मुखरता से देते रहे हैं। आज सुविधा मिलते ही जनाब खामोश हैं।
— Sanjeev Verma (@SanjeevVerma67) December 8, 2024
कड़वा-कड़वा थू-थू , मीठा-मीठा गप-गप।
देखते हैं, इस मिठास में जनाब की खामोशी कब तक बरकरार रहती है।
दूसरी ओर, अशोक खेमका का ट्विटर टाइमलाइन देखें तो उनका आखिरी ट्वीट 25 अगस्त को आया है। अगस्त में ही वह अदाणी-सेबी विवाद पर भी ट्वीट कर चुके हैं लेकिन अगस्त के बाद से उनकी ट्विटर टाइमलाइन पर खामोशी पसरी हुई है। अशोक खेमका ऐसे अधिकारी रहे हैं जो ट्विटर पर पीएम मोदी, निर्मला सीतारमण और कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों से सीधे सवाल भी पूछते रहे हैं। ऐसे में उनकी खामोशी सच में सवाल खड़े कर रही है।
पुरानी है तकरार!
दरअसल, अशोक खेमका वही अधिकारी हैं जिनके चलते रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बढ़ी थीं और लैंड डील की खूब चर्चा हुई। हालांकि, हरियाणा में बीजेपी सरकार आने के बाद से ही ज्यादातर बार अशोक खेमका को अहम विभागों से दूर ही रखा गया। साल 2010 की बात है जब संजीव वर्मा और अशोक खेमका आमने-सामने आ गए थे। संजीव वर्मा ने आरोप लगाए थे कि जब खेमका वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी के पद पर रहे उस दौरान भर्तियों में गड़बड़ी हुई।
मामला इतना बढ़ा कि अशोक खेमका और संजीव वर्मा ने एक-दूसरे के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया और दोनों का यह मुकदमा आज भी चल रहा है। वहीं, अशोक खेमका ने आरोप लगाए थे कि संजीव वर्मा जब समाज कल्याण विभाग में निदेशक थे तब वह सरकारी गाड़ी का गलत इस्तेमाल कर रहे थे।
पहले भी ट्रांसपोर्ट विभाग में रहे खेमका
बता दें कि अशोक खेमका को इससे पहले जो अहम पद मिला था वह भी ट्रांसपोर्ट विभाग में ही था। साल 2014 में जब मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी थी। उस समय खेमका ट्रांसपोर्ट कमिश्नर थे। उन्होंने बमुश्किल 4 महीने ही इस विभाग में काम किया था लेकिन कुछ सख्ती की वजह से वह चर्चा में आए थे। तब अशोक खेमका ने बड़े ट्रकों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था जिसके चलते ट्रक चालक हड़ताल पर उतर आए थे। बाद में राज्य सरकार ने इसके लिए ट्रक चालकों को एक साल का वक्त दिया तब वे माने। इसी घटना के बाद अशोक खेमका की ट्रांसपोर्ट विभाग से विदाई हो गई और उन्हें पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग में भेज दिया गया था।
कहां-कहां गए खेमका?
साल 2007 में वित्त विभाग, योजना विभाग, कृषि विभाग, ग्रामीण विकास और स्टेट हाउसिंग जैसे विभाग देखने वाले अशोक खेमका प्रभावशाली अफसरों में गिने जाते रहे हैं। साल 2011 से 2024 के बीच उन्होंने समाज कल्याण, इलेक्ट्रॉनिक्स, भूमि अधिग्रहण, लैंड रिकॉर्ड और ट्रांसपोर्ट विभाग में काम किया।
2015 के बाद उनकी पोस्ट कम महत्व या कम ताकत वाले विभागों में ही हुई।
2014-15- ट्रांसपोर्ट विभाग (कमिश्नर)
2015-16- पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग (सेक्रेटरी)
2016-17- विज्ञान और तकनीक विभाग (प्रमुख सचिव)
2017-17- समाज कल्याण विभाग (प्रमुख सचिव)
2017-19- युवा मामले और खेल विभाग (प्रमुख सचिव)
2019-19- विज्ञान और तकनीक विभाग (प्रमुख सचिव)
2019-21- सांस्कृतिक मामले, दस्तावेज, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग (प्रमुख सचिव)
2021-23- विज्ञान और तकनीक विभाग (अतिरिक्त मुख्य सचिव)
2023-24, पुरातत्व विभाग (अतिरिक्त मुख्य सचिव)
अब- ट्रांसपोर्ट विभाग
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