संजय सिंह, पटना। साल 2024 के फरवरी में नीतीश कुमार ने आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी से हाथ मिलाया था। इस दौरान उनके ही दल के चार विधायकों ने सरकार को अस्थिर करने का हिसाब किताब बैठा लिया था। इस खेल में आरजेडी के भी चार विधायक ट्रेज़री बैंक में आकर बैठ गए थे। अब सरकार को अस्थिर करने वाले विधायकों के खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने जांच तेज कर दी है। विधानसभा चुनाव के पहले ऐसे लोगों पर शिकंजा कस सकता है। अहम सवाल यह है कि आरजेडी के जिन चार विधायकों ने सरकार का साथ दिया था, उन्हें अब एडजस्ट कैसे किया जाएगा।
आर्थिक अपराध इकाई के हिट लिस्ट में सबसे आगे बीमा भारती हैं। बीमा ने विधानसभा की सदस्यता त्याग कर आरजेडी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। फिर आरजेडी के टिकट पर ही पूर्णिया से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। हालांकि चुनाव में निर्दलीय पप्पू यादव जीते और बीमा भारती हार गई। बीमा के पति अवधेश मंडल पर कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। बीमा कभी नीतीश मंत्रीमंडल की सदस्य रही हैं। विधानसभा चुनाव में बीमा के रूपौली विधानसभा से शंकर सिंह निर्दलीय विधायक चुने गए। शंकर सिंह ने जेडीयू को समर्थन दिया। जांच एजेंसी बीमा भारती पर लगातार नज़र गड़ाए हुए है। बीमा से दो दफा पूछताछ हो चुकी है।
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डा. संजीव का पत्ता कटना तय
इसके बाद दूसरे नंबर पर परवत्ता के विधायक डा. संजीव हैं। संजीव पर भी सरकार को अस्थिर करने का आरोप है। एक जमाने में संजीव के पिता आरएनसी नीतीश मंत्रीमंडल के सदस्य थे। वे नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते थे। डा. संजीव का राजनीतिक विस्तार खगड़िया के लोजपा सांसद राजेश वर्मा से भी बेहतर नहीं है। विधानसभा के आगामी चुनाव में संजीव का टिकट परवत्ता विधानसभा क्षेत्र से कटना तय माना जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि यहां से बीजेपी के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुनाव लड़ सकते हैं।
खदले हक और मोनू कुमार को भी नोटिस
इसके अलावा नरकटियागंज के फजले हक और मनेर के मोनू कुमार को भी पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है। ज्यों ज्यों चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है त्यों त्यों इन विधायकों पर जांच एजेंसी का शिकंजा कसता जा रहा है। जांच एजेंसी का दावा है कि उनके खिलाफ ठोस खास सबूत भी मौजूद हैं।
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एजेंसी ने एफआईआर का बनाया आधार
मालूम हो कि जेडीयू के विधायक सुधांशु शेखर ने पटना के कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। विधायक ने एफआईआर में आरोप लगाया था कि पैसा लेकर सरकार गिराने का प्रलोभन दिया जा रहा है। इसी एफआईआर को जांच एजेंसी ने जांच का आधार बनाया है। चुनाव की तारीख दैसे-जैसे नजदीक आ रही है तब-तब कारवाई तेज होती जा रही है। सत्रहवीं विधानसभा का मानसून सत्र अब समाप्त हो चुका है। अब ज्यादातर विधायक चुनाव के मूड में हैं। वर्तमान स्थिति में सरकार को अस्थिर करने वाले विधायकों को कारवाई का डर सता रहा है।
इधर अस्थिरता के माहौल में आरजेडी के चार विधायक चेतन आनंद, नीलम देवी, प्रहलाद यादव और एक अन्य ने सरकार का साथ दिया था। अब ऐसे लोगों को टिकट के लिए एडजस्ट करना जरूरी है। इधर कुछ राजनीति के जानकारों का कहना है कि बात नहीं बनने पर कुछ लोग जन सुराज की ओर जा सकते हैं।