उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को राजस्थान के कोटा शहर में कोचिंग सेंटरों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटर 'पोचिंग सेंटर' बन गए हैं। उन्होंने यह टिप्पणी कोटा में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के चौथे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही है।
कोचिंग सेंटरों पर कड़ी आलोचना करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि ये 'प्रतिभाओं के लिए एक सीमित दायरे में ब्लैक होल' बन गए हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि ये छात्रों को आगे बढ़ने के ज्यादा अवसर नहीं देते। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से छात्रों का भविष्य चौपट हो रहा है।
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कोचिंग सेंटर शिकार के अड्डे बने
धनखड़ ने कहा, 'कोचिंग सेंटर शिकार के अड्डे बन गए हैं। ये प्रतिभाओं के लिए एक सीमित दायरे में ब्लैक होल बन गए हैं। कोचिंग सेंटर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह हमारे युवाओं, जो हमारा भविष्य हैं, के लिए खतरा हैं। हमें इस चिंताजनक कुरूपता का समाधान करना होगा। हम अपनी शिक्षा को इतना कलंकित नहीं होने दे सकते।' बता दें कि राजस्थान का कोटा शहर कोचिंग सेंटरों का एक केंद्र है। यहां देश भर से छात्र कई प्रतियोगी परीक्षाओं इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए आते हैं।
'विज्ञापन पैसे का सही इस्तेमाल नहीं'
उन्होंने आक्रामक विज्ञापनों के लिए केंद्रों की भी आलोचना की और कहा कि लोग वहां पढ़ाई के लिए जो पैसा देते हैं, वह सही इस्तेमाल नहीं है। उन्होंने कहा, 'होर्डिंग, अखबारों में विज्ञापन के लिए पैसा कहां से आता है? यह उन लोगों से आता है जो या तो कर्ज लेते हैं या जिन्होंने अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। निश्चित रूप से, यह पैसे का सही इस्तेमाल नहीं है। ये विज्ञापन आकर्षक तो हैं, लेकिन हमारी सभ्यतागत संस्कृति के लिए आंखों में धूल झोंकने वाले हैं।'
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सोच पूरी तरह से बंध गई
उप राष्ट्रपति ने छात्रों के दिमाग को 'रोबोटाइज़' करने और बेहतरीन ग्रेड पाने की चाहत रखने के लिए कोचिंग सेंटरों की आलोचना की। उन्होंने कहा, 'बेहतरीन ग्रेड और मानकीकृत अंकों की चाहत ने जिज्ञासा को कमजोर कर दिया है, जो मानव बुद्धि का एक अभिन्न अंग है। सीटें सीमित हैं लेकिन कोचिंग सेंटर पूरे देश में हैं। वे छात्रों के दिमाग को सालों तक तैयार करते हैं और फिर उन्हें रोबोट बना देते हैं। उनकी सोच पूरी तरह से बंध गई है। इससे कई मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।'
कोटा में हर साल कई छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की भी खबरें सामने आती हैं। आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर छात्र पढ़ाई के दबाव और परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने की वजह से करते हैं।