उत्तराखंड में केदारनाथ धाम यात्रा न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी यह एक बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बन गया है। हालांकि, यहां के मौसम की बात करें तो ये काफी अप्रत्याशित रहता है। कभी तेज बारिश तो कभी घना कोहरा पूरी घाटी को घेर लेता है। इसी वजह से 2013 की आपदा के बाद, घाटी में ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन और डॉप्लर रडार लगाने की मांग उठी थी ताकि तूफान, कोहरा, बारिश, बर्फबारी जैसी स्थिति की रियल-टाइम जानकारी मिल सके, पर 12 साल में भी कोई स्टेशन लग पाया नहीं।
15 जून 2025 की सुबह, एक Aryan Aviation का Bell 407 हेलीकॉप्टर, जो केदारनाथ से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भर रहा था, गौरीकुंड के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इसमें सवार 7 लोग- 5 तीर्थयात्री, एक बच्चा और पायलट सभी की मृत्यु हो गई। शुरुआती रिपोर्ट्स में बताया गया कि अचानक मौसम बिगड़ा और पूरी तरह खराब हो गई थी, जिससे पायलट नियंत्रण खो बैठे । यह इस तीर्थ मार्ग पर तीसरी बड़ी घटना थी, पिछले छह सप्ताह में यह पांचवीं हुई दुर्घटना थी।
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प्रशासन ने जारी किए निर्देश
बता दें कि घाटी में हेलिकॉप्टर उड़ाने के लिए कोई SOP (Standard Operating Procedure) नहीं थी। रुद्रप्रयाग प्रशासन ने हाल ही में निर्देश जारी किये हैं- उनके अनुसार अब SOP बनेगी, जिसमें मौसम जांच, तकनीकी निरीक्षण और सिर्फ अनुभवी पायलटों को अनुमति शामिल होगी।
कैसे काम करता है ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन?
AWS एक ऑटोमैटिक सिस्टम है जो वास्तविक समय में मौसम संबंधी डेटा (तापमान, हवा की रफ्तार और दिशा, बारिश, कोहरा आदि) रिकॉर्ड करती है। AWS में कई सेंसर लगे होते हैं, जैसे- थर्मामीटर (तापमान), हाइग्रोमीटर (आर्द्रता), एनीमोमीटर (हवा की रफ्तार), विंड वेन (हवा की दिशा), रेन गेज (बारिश मापने के लिए)। फिर सेंसर से डेटा एक डेटा लॉगर में भेजा जाता है, जो उसे प्रोसेस करता है। इसके बाद डेटा सैटेलाइट, मोबाइल नेटवर्क या रेडियो नेटवर्क के जरिए से मेन सर्वर पर भेजा जाता है। इस डेटा का इस्तेमाल मौसम पूर्वानुमान, कृषि, आपदा प्रबंधन और शोध में किया जाता है। वहीं डॉप्लर रडार माइक्रोवेव की मदद वातावरण में बारिश, बादल, हवा और तूफानों की रफ्तार व दिशा का पता लगाता है।
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प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत दो दिन के लिए सभी हेलीकॉप्टर सेवाएं स्थगित कर दीं और गंभीर जांच का आदेश दिया। उन्होंने विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने और सख्त SOP तैयार करने पर जोर दिया- जिसमें हेलीकॉप्टर की तकनीकी नियम, मौसम जांच, दो इंजन का होना और अनुभवी पायलट का होना आवश्यक होगा।
इसके अलावा, राज्य में कंट्रोल और कमांड सेंटर बनाने की योजना है जो कई विभागों के सहयोग से रियल-टाइम निगरानी करेगा। केंद्रीय मंत्रालय ने भी इस कंपनी की उड़ानें निलंबित कर दी हैं और DGCA से पर्वतीय उड़ानों की सुरक्षा और निरीक्षण बढ़ाने को कहा है। केदारनाथ का भूगोल बहुत खतरनाक है- ऊंचाई, संकरी घाटियां, और अचानक बदलता मौसम यहां जोखिम बढ़ाता है। विशेषज्ञों ने भी कहा है कि ATC, रडार और मौसम निगरानी की व्यवस्था न होना ‘सिस्टम की बड़ी चूक है’।