केरल सरकार एक्सपायर हो चुकी दवाईयों को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है। दरअसल, सरकार घरों से एक्सपायर और इस्तेमाल में नहीं लाई गई दवाइयों को इकट्ठा करके उनका वैज्ञानिक तरीके से निपटान करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने जा रही है।
इस तरह का कार्यक्रम राज्य औषधि नियंत्रण विभाग देश में पहली बार करने जा रहा है। इस परियोजना का नाम 'nPROUD' है। परियोजना का उद्घाटन 22 फरवरी को कोझिकोड में स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज करेंगी।
निपटान की सुविधा देगी सरकार
वीना जॉर्ज ने एक बयान में कहा, 'परियोजना के तहत घरों से अनुपयोगी दवाइयां इकट्ठी की जाएंगी। सरकार उनके निपटान की सुविधा देगी। यह पहली बार है जब देश में सरकारी स्तर पर इस तरह की परियोजना शुरू की गई है और इसे लागू किया गया है। कोझिकोड निगम और कोझिकोड जिले के उल्लियेरी पंचायत में इसे पहली बार लागू किया जा रहा है। सरकार इसे पूरे राज्य में लागू करने की योजना बना रही है।'
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पानी में नहीं फेंकना चाहिए
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'एक्सपायर हो चुकी और अनुपयोगी दवाइयों को लोगों को लापरवाही से मिट्टी और पानी में नहीं फेंकना चाहिए। इससे एंटीमाइक्रोबायल प्रतिरोध, स्वास्थ्य समस्याएं और पर्यावरण प्रदूषण होता है। औषधि नियंत्रण विभाग ने इसका जिम्मा उठाया और इसे लागू किया है क्योंकि ऐसी दवाओं को इकट्ठा करने या वैज्ञानिक तरीके से संसाधित करने के लिए कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।'
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पर्यावरण में प्रदूषण होता
कई स्टडी से संकेत मिलता है कि अनुपयोगी दवाओं के अवैज्ञानिक निपटान से पर्यावरण में प्रदूषण होता है। ऐसी स्टडी के आधार पर औषधि नियंत्रण विभाग ने बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट और नियमों के प्रावधानों का पालन करते हुए अनुपयोगी दवाओं के निपटान के लिए एनप्राउड शुरू किया है।
योजना के मुताबिक, दवाईयों के नीले रंग के संग्रह प्वाइंट बनाए गए हैं, जहां लोग जाकर नीले बक्सों में दवाएं जमा कर सकते हैं। यह परियोजना स्थानीय निकायों और हरित कर्म सेना (Haritha Karma Sena) के सदस्यों की मदद से की जा रही है। दवाइयों को केरल एनवायरो इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड वैज्ञानिक तरीके से संसाधित करेगा।