केरल विधानसभा में पेश की गई एक हालिया रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। स्थानीय स्वशासन विभाग (LSGD) के अनुसार, केरल के 1,157 स्कूलों की इमारतें कक्षाएं चलाने के लिए 'अनुपयुक्त' हैं। इनमें से 875 सरकारी स्कूल, 262 सहायता प्राप्त स्कूल और 20 गैर-सहायता प्राप्त स्कूल शामिल हैं।
करुनागप्पल्ली विधायक सी. आर. महेश के सवाल के जवाब में सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने बताया, 'नई स्कूल इमारतें बनाने के लिए योजना निधि और केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (KIIFB) परियोजनाओं का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही, रखरखाव के लिए अलग से फंड भी दिए जा रहे हैं।'
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सबसे ज्यादा कोल्लम में
जिलेवार आंकड़ों में कोल्लम में सबसे ज्यादा 143 स्कूलों की इमारतें अनुपयुक्त पाई गईं, इसके बाद अलप्पुझा (134) और तिरुवनंतपुरम (120) का नंबर है। नियमों के अनुसार, हर स्कूल को शैक्षणिक वर्ष शुरू होने से पहले स्थानीय अधिकारियों से फिटनेस प्रमाणपत्र लेना जरूरी है। इन आंकड़ों से साफ है कि हजारों छात्रों के लिए सुरक्षित पढ़ाई का माहौल सुनिश्चित करने के लिए जल्दी से नवीनीकरण और सुरक्षा उपायों की जरूरत है।
ज़ुम्बा डांस होगा शामिल
इस बीच, केरल में स्कूलों में ज़ुम्बा डांस को पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला भी चर्चा में है। जुलाई में शुरू किए गए इस कार्यक्रम का मकसद छात्रों में शारीरिक फिटनेस और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। यह नशे के खिलाफ अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शारीरिक गतिविधियों के जरिए तनाव कम करना है।
अंतरराष्ट्रीय ज़ुम्बा फिटनेस प्रशिक्षक रोमा मंसूर ने कहा, 'केरल सरकार का स्कूलों में ज़ुम्बा को बढ़ावा देने का कदम शानदार है। आजकल बच्चे कई ऐसी चीजों के आदी हो रहे हैं जो उनके दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं। ज़ुम्बा से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वजन नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।'
मुस्लिम समूह का विवाद
लेकिन इस कार्यक्रम को लेकर विवाद भी शुरू हो गया है। तिरुवनंतपुरम में कुछ मुस्लिम समूहों ने ज़ुम्बा डांस का विरोध किया है। उनका कहना है कि लड़के-लड़कियों का एक साथ नाचना और कम कपड़े पहनना स्वीकार्य नहीं है। शिक्षक और विस्डम इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन के महासचिव टीके अशरफ ने फेसबुक पर लिखा, 'मैं और मेरा बेटा इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे।' समस्त केरल जामिय्यथुल उलमा के नेता नस्सार फैज़ी कूडाथाई ने भी इसे अनुचित बताया।
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शिक्षा विभाग ने इसकी सफाई देते हुए कहा कि ज़ुम्बा सत्र पूरी तरह स्वैच्छिक हैं और यह छात्रों के शैक्षणिक दबाव को कम करने और नशे से बचाने के लिए शुरू किया गया है। शिक्षा मंत्री शिवनकुट्टी ने ज़ुम्बा का समर्थन करते हुए कहा, 'किसी ने बच्चों को कम कपड़े पहनने के लिए नहीं कहा। बच्चे स्कूल यूनिफॉर्म में यह कर रहे हैं।' सीपीआई(एम) महासचिव एमए बेबी ने भी इसे समर्थन दिया और विरोध को 'पूरी तरह गलत' बताया।