संजय सिंह, पटना: हथियार निर्माण का कार्य मुंगेर में मीर कासिम के ज़माने से ही होता था। धीरे-धीरे समय बदला ब्रिटिश शासन काल में यहां कुशल कारीगरों द्वारा बंदूक निर्माण की 33 इकाइयां खोली गईं। समय के साथ में बंदूक की मांगें घटती गई, जिसकी वजह से बंदूक कारीगरों को धीरे-धीरे काम मिलना बंद हो गया। अब ये कुशल कारीगर अपना पेट भरने के लिए अवैध हथियार के निर्माण में लग गए हैं। अब तो यहां बंदूक के बदले कट्टा ,पिस्टल और कार्बाइन का निर्माण धड़ल्ले से होने लगा है।
लोकसभा का चुनाव हो या फिर पंचायत का, चुनावी दस्तक के साथ ही राज्य में हथियार की मांग बढ़ जाती है। देश के कई राज्यों में यहां के हथियार तस्करों का नेटवर्क फैला हुआ है। देश के कुख्यात अपराधियों के बीच यहां के बनाए हुए छोटे हथियारों की मांग अधिक है। चुनावी दस्तक के साथ ही कुशल कारीगरों के बीच अवैध हथियार निर्माण की होड़ लग जाती है। पुलिस ने एक दिन के भीतर खाद्दिया में मिनी गन फैक्ट्री का भंड़ाफोड़ किया। इसी दिन मुंगेर में 2 हथियार तस्करों को रंगे हाथों पकड़ा गया। मुंगेर के एस पी सैयद इमरान मसूद के अनुसार जिले की पुलिस इन गतिविधियों को लेकर सतर्क और चौकस है।
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पांच हजार में कट्टा और 20 में पिस्टल उपलब्ध
मुंगेर में निर्मित अवैध हथियार की कीमत दूसरे शहरों की तुलना में सस्ता है। यहां पांच हजार रुपये में कट्टा और बीस हजार में पिस्टल आसनी से मिल जाती है। मजेदार बात ये है कि यहां के कारीगर अपने हाथों से बनाए हुए अवैध हथियारों पर मेड इन चाइना और जापान की मुहर भी लगा देते हैं। इससे हथियार तस्करों को देश के दूसरे राज्यों के बाजार में इसकी कीमत पचास से सत्तर हजार रूपये तक मिल जाती है। मुंगेर पुलिस और एसटीएफ डिलीवरी देते मनोज यादव और आशुतोष कुमार को दो पिस्टल और मैगजीन के साथ नया राम नगर थाने के पास पकड़ा। मनोज हथियार के साथ-साथ शराब की भी तस्करी करता है।
दियारा क्षेत्र से तीन गिरफ्तार
पुलिस की नजर से बचकर ये हथियार तस्कर दियारा क्षेत्र या जंगली क्षेत्रों में सुनसान जगहों पर अवैध हथियार का निर्माण करते हैं। ऐसे ही निर्माण की सूचना खगड़िया पुलिस को मिली। खगड़िया पुलिस ने मोरकाही थाना क्षेत्र से तीन लोगों को अवैध हथियार बनाते हुए रंगे हाथों पकड़ा। यह इलाका दियारा क्षेत्र है। पकडे गए लोगों में मुंगेर मुफसिलथाना क्षेत्र के बरदह गांव के निवासी मो.इंजमामुल उर्फ अप्पू ,बसीं उर्फ बसुआ और सदरुल शामिल हैं। ये लोग गुड्डू यादव के बासा पर रहकर अवैध हथियार बनाकर बेचने का काम कर रहे थे। गुड्डू यादव पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल हो गया। गिरफ्तार अपराधियों में पुलिस के सामने स्वीकार किया कि चुनाव को सामने देखकर अवैध हथियार का निर्माण किया जा रहा था।
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चुनावी मौसम में बढ़ जाती है मांग
चाहे पंचायत का चुनाव हो या लोकसभा का चुनाव इसमें हथियारों की मांग बढ़ जाती है। चुनाव के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में वोटरों को डराने धमकाने में हथियारों का प्रदर्शन खूब होता है। चुनाव के दौरान या चुनाव से पहले अपराध की घटनाएं ज्यादा बढ़ जाती हैं। बढ़ती मांग को देखकर कारीगरों के बीच भी हथियार बनाने की होड़ लगी रहती है। मुंगेर हथियार निर्माण को लेकर पहले से ही बदनाम रहा है ऐसी स्थिति में चुनाव को देखते हुए पुलिस भी सक्रिय हो जाती है। पुलिस की सक्रियता को देख तस्कर अवैध हथियार का निर्माण आस पड़ोस के जिलों जैसे भागलपुर , खगड़िया, बेगुसराय आदि में जाकर करने लगते है। इन क्षेत्रों में पुलिस का पहुंचना आसान नहीं होता। मजेदार बात तो यह है कि ये तस्कर हथियारों की डिलीवरी और बच्चों का इस्तेमाल करते हैं।