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अपने ही भतीजे को दी थी मौत की सजा, मंदिर में क्यों होती है 'जज अंकल' की पूजा?

केरल के कोट्टायम जिले के चेरुवल्ली देवी मंदिर में 18वीं सदी के एक वास्तविक जज को जजियम्मावन के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि वे कानूनी और कोर्ट केस से जुड़ी परेशानियों में भक्तों की प्रार्थनाएं सुनते हैं।

Cheruvally Devi Temple

चेरुवल्ली देवी मंदिर, Photo Credit- Wikipedia

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हमारे देश में कई देवी-देवताओं की पूजा होती है और सभी से जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं व कहानियां हैं, जो लोगों की गहरी आस्था को दर्शाती हैं। ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है, जहां देवता कोई काल्पनिक पात्र नहीं, बल्कि एक असली जज हैं। केरल के कोट्टायम जिले के कंजिराप्पल्ली तालुक में स्थित चेरुवल्ली देवी मंदिर में भक्त जजियम्मावन (जज अंकल) की पूजा करते हैं। यह एक अनोखे उपदेवता हैं, जिन्हें न्यायप्रिय जज के रूप में जाना जाता है।​​ इनके बारे में माना जाता है कि वह कानूनी परेशानियों, खासकर कोर्ट केस में शांति चाहने वाले हजारों लोगों की प्रार्थनाएं सुनते हैं। कहानी यह है कि इस शख्स ने जज का काम करते हुए अपने ही भतीजे को मौत की सजा सुना दी थी लेकिन बाद में पता चला कि वह निर्दोष था।


त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (TDB) के तहत आने वाले इस मंदिर की मुख्य देवी भद्रकाली हैं लेकिन दक्षिण भारत के मशहूर हस्तियों और यहां तक कि न्यायपालिका के सदस्यों सहित भक्त जजियम्मावन की पूजा करने के लिए मंदिर आते हैं।


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क्या है कहानी?

ऐसा कहा जाता है कि लगभग 200 साल पहले, पुराने त्रावणकोर राज्य पर कार्तिका तिरुनल राम वर्मा का शासन था। उन्हें धर्म राजा यानी न्यायप्रिय राजा कहा जाता था। उन्होंने 1758 से 1798 तक लंबे समय तक राज्य पर शासन किया और हमेशा न्याय और कानून के नियमों का पालन किया। 

 

राजा के दरबार में गोविंदा पिल्लई नाम के एक ईमानदार जज थे। वह संस्कृत के जानकार और न्याय के मामले में बहुत सख्त माने जाते थे। एक बार गोविंदा पिल्लई के भतीजे पर किसी अपराध का आरोप लगा और यह उनकी ही अदालत में आया। सुनवाई पूरी होने के बाद जज ने अपने भतीजे को दोषी ठहराया और उसे फांसी की सजा सुनाई। भतीजे को फांसी मिलने होने के बाद उन्हें पता चला कि वह निर्दोष था जिससे उनको गहरा धक्का लगा। इसके बाद वह अपने भतीजे की मौत की सजा देने का अपराधबोध बर्दाश्त नहीं कर पाए। उन्होंने राजा से अपने लिए फांसी की सजा की मांग की। 

 

राजा ने शुरुआत में मना कर दिया फिर बाद में राजा ने खुद उन्हें ही सजा सुनाने का काम सौंप दिया। गोविंदा पिल्लई ने खुद को सजा के तौर पर फांसी की सजा सुनाई। गोविंदा ने आदेश दिया कि उनके दोनों पैर काट दिए जाएं और उन्हें सार्वजनिक रूप से फांसी दी जाए। उनके शरीर को तीन दिनों तक लटका रहने दिया जाए। उनके ही इस आदेश पर उन्हें सजा हुई।

 

बाद में यह भी कहा गया कि लंबे समय तक गोविंदा पिल्लई और उनके भतीजे की आत्मा भटकती रही। आखिर में गोविंदा पिल्लई की मूर्ति स्थापित की गई और उनकी भी पूजा की जाने लगी।


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सुर्खियों में कब आया?

सबसे पहले यह मंदिर तब सुर्खियों में आया जब 2017 के ऐक्टर पर हमले और रेप केस में आरोपी ऐक्टर दिलीप को 8 दिसंबर 2025 को कोर्ट ने बरी कर दिया। दिलीप अपने भाई के साथ 2019 में अपने खिलाफ केस दर्ज होने के बाद चढ़ावा चढ़ाने के लिए मंदिर गए थे।

पूजा का समय

चेरुवल्ली देवी मंदिर पोनकुन्नम और मणिमाला के बीच राज्य राजमार्ग 8 पर चेरुवल्ली गांव में है। मुख्य देवी भद्रकाली हैं, जो आदिशक्ति का उग्र रूप हैं। मंदिर की आयु कम से कम 1000 वर्ष पुरानी मानी जाती है।​ शुक्रवार को भद्रकाली पूजा के बाद रात 8 बजे जजियम्मावन का दरवाजा 45 मिनट के लिए खुलता है। भक्त कोर्ट केस फाइलें लेकर आते हैं और नारियल चढ़ाते हैं, मान्यता है कि इससे मुकदमे सफल होते हैं।

 

नोट: इस खबर में लिखी गई बातें धार्मिक और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित हैं। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।

 

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