केंद्र् सरकार ने चंडीगढ़ के ट्रिब्यून चौक पर प्रस्तावित फ्लाईओवर के लिए 240 करोड़ रुपये के रिवाइज्ड बजट को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना पिछले 6 साल से अटकी है। चंडीगढ़ प्रशासन का दावा है कि फ्लाईओवर निर्माण से ट्रिब्यून चौक पर लगने वाले जाम से लोगों को राहत मिलेगी।
नई दिल्ली में शुक्रवार को चंडीगढ़ के चीफ इंजीनियर और अन्य अधिकारियों की केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद बजट को हरी झंडी दी गई। जल्द ही फ्लाईओवर निर्माण का टेंडर जारी किया जाएगा। अगर सब कुछ समय पर चलता रहा तो करीब 16 से 18 महीने में इसका निर्माण पूरा हो जाएगा। केंद्र सरकार ने पहली बार 11 फरवरी 2019 को ट्रिब्यून चौक पर फ्लाईओवर निर्माण को मंजूरी दी थी। तब इस परियोजना की लागत 183.74 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी।
यह फ्लाईओवर 1.6 किमी लंबा और छह लेन का होगा। फ्लाईओवर की शुरुआत सेक्टर-32 जीएमसीएच चौक के पास से होगी और ट्रिब्यून चौक के ऊपर से निकलते हुए हल्लोमाजरा चौक के नजदीक बने रेलवे पुल से ठीक पहले खत्म हो जाएगा।
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बजट नहीं मिला तो फ्लाईओवर की लंबाई घटाई
पहले डिजाइन के मुताबिक ट्रिब्यून चौक फ्लाईओवर साढ़े छह किमी लंबा बनना था। यह जीकरपुर सीमा तक जाता। मगर इस परियोजना में 390 करोड़ रुपये के खर्च होने का अनुमान था। बजट की हरी झंडी नहीं मिली। इसके बाद फ्लाईओवर की लंबाई 1.6 किमी करने का प्रस्ताव तैयार किया गया। अब सवाल यह उठ रहा है कि फ्लाईओवर के बनने से ट्रिब्यून चौक पर तो जाम से लोगों को राहत मिल जाएगी, लेकिन आगे जाकर यही जाम हल्लोमाजरा चौक पर लगेगा।
ट्रिब्यून चौक क्यों अहम?
ट्रिब्यून चौक चंडीगढ़ के सबसे व्यस्ततम चौक में से एक है। यहां से रोजाना लाखों वाहन गुजरते हैं। हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से आने वाला ट्रैफिक इसी चौक से गुजरता है। ऑफिस टाइम में लोगों को रोजाना घंटों जाम से जूझना पड़ता है। ट्रिब्यून चौक पर साल के सभी महीने जाम की स्थिति एक जैसी होती है। ट्रिब्यून चौक के अलावा हल्लोमाजरा चौक पर भी जाम अक्सर देखने को मिलता है।
बदनौर और किरण खेर ने किया था शिलान्यास
3 मार्च 2019 को चंडीगढ़ के तत्कालीन प्रशासक वीपी सिंह बदनौर और पूर्व सांसद किरण खेर ने फ्लाईओवर का शिलान्यास किया था। डेढ़ साल में फ्लाईओवर के तैयार होने का दावा किया गया, लेकिन छह साल बाद भी चंडीगढ़ के लोगों का यह सपना अधूरा है।
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हाई कोर्ट ने हटाई रोक तो आगे बढ़ी परियोजना
फ्लाईओवर के रास्ते में पड़ने वाले लगभग 472 पेड़ों को काटा जाना था। रन क्लब ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की और शहर की खूबसूरती बिगड़ने का आरोप लगाया। 2019 में हाई कोर्ट ने परियोजना पर रोक लगा दी। पिछले साल मई 2024 में हाई कोर्ट ने यह कहते हुए रोक हटा ली कि शहर की आबादी बढ़ रही है और विकास भी जरूरी है। बता दें कि चंडीगढ़ प्रशासन अधिकांश पेड़ों को दूसरे स्थान पर रीट्रांसप्लांट करेगा और नए पौधे भी लगाएगा।
जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन से रिवाइज्ड इस्टीमेट प्रस्ताव मांगा था। मार्च महीने में केंद्र को 245 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया। अब केंद्र सरकार ने 240 करोड़ रुपये के बजट को हरी झंडी दे दी है।