महाराष्ट्र की छत्रपति संभाजीनगर लोकसभा सीट से सांसद संदीपनराव भुमरे के ड्राइवर को 150 करोड़ रुपये की जमीन तोहफे में मिलने से विवाद खड़ा हो गया है। जालना रोड पर स्थित यह बेशकीमती जमीन एक ड्राइवर को तोहफे में मिलने से हर कोई हैरान है। इस बीच आर्थित अपराध साखा (EOW) भी इस बारे में शिकायत मिलते ही ऐक्टिव हो गई और पूछताछ शुरू कर दी है। इस जमीन को लेकर ड्राइवर का दावा है कि यह जमीन उन्हें हिबनामा यानी दानपत्र में मिली है। जांच टीम ने हिबनामा पर सिग्नेचर करने वाले सालार जंग के 6 परिजन को नोटिस जारी किया है।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एक वकील ने इस गिफ्ट पर सवाल उठाए और पुलिस में शिकायत कर मामले की जांच के लिए कहा। छत्रपति संभाजीनगर के पुलिस आयुक्त प्रवीण पवार ने गुरुवार को बताया, 'इस मामले में जांच तब शुरू हुई जब परभणी के एक वकील मुजाहिद खान ने शिकायत दर्ज कराई। इसी शिकायत के आधार पर जांच शुरू की गई।' पुलिस को मामले की सूचना देने वाले परभणी के वकील मुजाहिद खान ने पूछा, 'सालार जंग के वंशज संभाजीनगर में एक ड्राइवर को गिफ्ट डीड क्यों देंगे और वह भी तब जब मामले में उनके पक्ष में फैसला सुनाया गया हो।'
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हिबनामा में मिली जमीन
ड्राइवर जावेद रसूल शेख पिछले 13 साल से शिवसेना सांसद संदीपनराव भुमरे और विधायक बेटे विलास भुमरे की गाड़ी चला रहे हैं। जब उनको गिफ्ट में मिली जमीन पर विवाद खड़ा हुआ तो उन्होंने अपनी सफाई दी। उन्होंने बताया कि हैदराबाद के मशहूर सालार जंग परिवार ने संभाजीनगर के जालना रोड पर दाऊदपुरा में कीमती जमीन उन्हें दान में दी। उन्होंने हिबनामा भी दिखाया जिसमें कथित तौर पर सालार जंग के वारिसों में से एक मीर अली खान समेत छह रिश्तेदारों के सिग्नेचर हैं। जिस जमीन पर विवाद हो रहा है उसकी कीमत 150 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
कौन थे सालार जंग?
सालार जंग परिवार हैदराबाद रियासत के निजाम शासनकाल के दौरान एक प्रभावशाली कुलीन परिवार था। इस परिवार के हैदराबाद के निजाम के साथ करीबी रिश्ते थे। इस परिवार की तीन पीढ़ियों से लोग निजाम के दीवान रहे और निजाम के शासन को चलाने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई।
हिबनामा क्या है?
सांसद के ड्राइवर को जो जमीन गिफ्ट में दी गई है वह हिबनामा के जरिए दी गई है। हिबनामा मुस्लिम कानून में एक कानूनी दस्तावेज होता है, जो किसी व्यक्ति के अपनी संपत्ति को किसी दूसरे व्यक्ति को गिफ्ट के रूप में देने के लिए तैयार किया जाता है। यह दस्तावेज संपत्ति के ट्रांसफर का सबूत होता है और इसे हिबा कहा जाता है। वकील मुजाहिद खान ने इस गिफ्ट की गई जमीन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि एक हिबनामा कानूनी रूप से तभी मान्य है जब खूनी रिश्तों में किया गया हो। यहां सालार जंग के परिवार का ड्राइवर के साथ कोई रिश्ता नहीं है बल्कि दोनों इस्लाम के दो अलग-अलग संप्रदायों से भी संबंधित हैं।
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ड्राइवर ने पेश की सफाई
इस विवाद पर ड्राइवर जावेद रसूल शेख ने बताया, 'मैं जांच में सहयोग कर रहा हूं और सभी तरह की जानकारी जमा कर दी है। पुलिस ने मुझसे जमीन से संबंधित जानकारी के बारे में पूछा। मैंने उन्हें बताया कि मुझे यह हिबनामा के जरिए से हासिल हुई है। सालार परिवार के वंशजों के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं और इसलिए उन्होंने मुझे जमीन गिफ्ट में दे दी।' EOW इंस्पेक्टर संभाजी पवार ने बताया, 'हमने ड्राइवर जावेद रसूल शेख को पूछताछ के लिए बुलाया है और उनसे अपने IT रिटर्न, आय के सोर्स की कॉपी जमा करने और यह बताने के लिए कहा है कि किस आधार पर उनके नाम पर गिफ्ट डीड पर सिग्नेचर किए गए हैं। हालांकि, गिफ्ट डीड पर सिग्नेचर करने वाले परिवार के सदस्य अब तक पूछताछ में शामिल नहीं हुए हैं।'
सांसद के बेटे ने दी सफाई
सांसद संदीपनराव भूमरे के ड्राइवर को इतनी जमीन गिफ्ट में मिली तो सांसद पर भी सवाल उठने लगे। इस बीच सांसद के बेटे और पैठण के विधायक विलास भुमरे ने इस लेन-देन में अपने पिता के नाम घसीटे जाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने बताया कि EOW ने उनसे भी पूछताछ की। भुमरे ने कहा कि जावेद हमारा ड्राइवर है लेकिन हम उसके हर काम को कंट्रोल नहीं करते हैं। वैसे भी, हिबनामा संपत्ति दान करने का एक कानूनी तरीका है।