जहां महाकुंभ 2025 धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम के रूप में विश्व स्तर पर स्थापित होने की ओर अग्रसर है। वहीं मेला क्षेत्र में एक दंपति द्वारा जूना अखाड़ा के एक महंत को अपनी नाबालिग पुत्री का कन्यादान करने से मेला क्षेत्र में ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। अब रमता पंच ने इसके खिलाफ कदम उठाया है। दान में दी गई लड़की की मुख्य धारा में वापसी करवाई गई है और अखाड़े के एक महंत कौशल गिरी को 7 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
प्राचीन समय में कुंभ में जहां राजा हर्षवर्धन अपना सब कुछ दान कर करके परिवार समेत वापस चले जाते थे लेकिन इस तरह से अपनी नाबालिग बेटी का कन्यादान की घटना पहली बार हुई। हालांकि, कन्यादान संन्यास मार्ग को अपनाने के लिए दिया गया था। मेला क्षेत्र में कन्यादान की घटना के बारे जैसे ही मीडिया और सोशल मीडिया पर खबर चली। इस तरह के कन्यादान की घटना की चौतरफा निंदा होने लगी।
अखाड़े ने कराई घर वापसी
कुछ संगठनों ने तो देश के राष्ट्रपति से भी नाबालिग कन्या को अखाड़े से मुक्त कराने की प्रार्थना किया। अनेक संस्थाएं भी सामने आ गईं। वहीं लोगों का कहना था कि यह परिपाटी अगर आगे चली तो बहुत गलत दिशा की ओर आगे जा सकती है। जिसस नारी जाति को भविष्य में दिक्कत हो सकती है। इसके साथ ही अखाड़े की मान मर्यादा भी प्रभावित हो सकती है।
मामला बढ़ते देख रमता पंच ने सख्त कदम उठाया । कन्यादान वाली लड़की को मुख्य धारा में वापसी करवाने के साथ ही कन्यादान लेने वाले जूना अखाड़ा के एक महंत कौशल गिरि को 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया।
क्यों किया था कन्यादान?
बता दें कि आमतौर पर लोग शादी विवाह के रश्म में कन्यादान करते हैं लेकिन महाकुंभ में एक नई परंपरा की शुरुआत करने की कोशिश की गई। 26 दिसम्बर को आगरा जनपद से एक परिवार के साथ संगम क्षेत्र के सेक्टर नंबर 20 में अपने गुरु कौशल गिरि के शिविर में आया। कौशल गिरि जूना अखाड़े से संबंधित महंत हैं। बीते सोमवार को संदीप और रीमा ने अपनी बड़ी पुत्री का कन्यादान कर दिया था। रीमा ने बताया कि गुरु की सेवा में करीब 4 साल से जुड़े हैं, कौशल गिरी उनके मोहल्ले में भागवत कथा कहने आए थे वहीं से उनके परिवार का उनसे भक्ति भाव से जुड़ाव हुआ।
उनकी बेटी पढ़ने में बहुत तेज है और वह प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहती थी लेकिन अचानक से ही उसके व्यवहार में परिवर्तन हुआ और वह वैराग्य की ओर उन्मुख हो गई और कहने लगी कि वह साध्वी बनना चाहती है। उसी की इच्छा अनुसार महाकुंभ क्षेत्र में आए। वहीं पिता संदीप सिंह ने भी बेटी के साध्वी बनने पर अपने को सौभाग्यशाली बताया कहा कि उसके मन में वैराग्य जागृत हुआ यह उनके लिए सौभाग्य की बात है। कन्यादान के बांद महंत कौशल गिरी ने लड़की को नया नाम गौरी दिया और उसे आगे के संस्कार पिंडदान के लिए तारीख भी दे दी। बैरागी संन्यासी जीवन में पिंडदान का पहला उपक्रम होता है यह 19 जनवरी को निर्धारित किया गया था।
जूना अखाड़े के कौशल गिरी द्वारा शुरू की गई इस नई परंपरा का जब विरोध शुरू हुआ तो संत समाज आगे आया। रमता पंच ने इस तरह की गतिविधि को गलत माना। साध्वी बनने आई लड़की को वापस उसके माता-पिता के पास भेज दिया गया। रमता पंच में संरक्षक श्रीमंत हरि गिरी जूना अखाड़ा के सभापति श्री महंत प्रेम गिरि, प्रवक्ता दूधेश्वर नाथ पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि, मेला प्रभारी मोहन भारती सचिव महेश पुरी शामिल हुए।