भारत में गर्मी और लू हर साल नए रिकॉर्ड बना रही है। इस साल तो अप्रैल के महीने में ही देश के कुछ हिस्सों में तापमान 45 डिग्री पार कर गया है। दक्षिण भारत के राज्यों में गर्मी लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। मौसम विभाग के आंकड़े आने वाले दिनों में भंयकर गर्मी पड़ने की आशंका जता रहे हैं। गर्मी और लू से मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। अक्सर लू से मरने वालों की मौत को प्राकृतिक मौत मान लिया जाता है लेकिन तेलंगाना सरकार ने भीषण गर्मी और लू के खतरे को देखते हुए एक अहम कदम उठाया है। राज्य सरकार ने लू को अब 'राज्य-विशेष आपदा घोषित' कर दिया है। इस घोषणा के बाद अब लू से मरने वाले लोगों के परिवारों को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
तेलंगाना सरकार ने मंगलवार को इस योजना का ऐलान किया। सरकार का मानना है कि हीटवेव एक छिपा हुआ खतरा है। इसका असर ठीक से पता नहीं चलता है और इसे पहचानने में भी दिक्कत होती है। सरकार की इस योजना के अनुसार, अगर किसी की मौत लू या हीटवेव से होती है तो मरने वाले के परिवार को 4 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। सरकार ने अस्पतालों को मौत के कारण की पहचान करने और यह जांच करने के आदेश दिए हैं कि मौत हीटवेव और लू से ही हुई है या किसी अन्य बीमारी के चलते। तेलंगाना देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने हीटवेव से मरने वालों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा की है।
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क्या कहता है आदेश?
तेलंगाना सरकार ने इस आदेश में लू को एक छिपा हुआ खतरा बताया है। सरकार ने कहा कि इस खतरे को गंभीरता से लेना चाहिए। राज्य में पिछले कुछ सालों से लू से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार के अनुसार, तेलंगाना के 33 जिलों में से 28 जिलों में हर साल कम से कम 15 दिनों तक भीषण गर्मी पड़ती है और इस दौरान लू चलने से कई लोगों की मौत हो जाती है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि लू और हीटवेव से मरने वालों के परिवार को 4 लाख रुपये सहायता राशि दी जाएगी। साथ ही राज्य के अस्पतालों को मौत के कारणों को स्पष्ट करने को भी कहा है।
ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य
गर्मी और लू से होने वाली मौत पर देश के किसी भी राज्य में मरने वाले के परिजनों को सहायता नहीं दी जाती है। तेलंगाना देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने लू को राज्य-विशेष आपदा माना है। इससे पहले, लू से मौत होने पर सरकार केवल 50,000 रुपये की सहायता राशि देती थी। यह राशि 'आपदा बंधु योजना 'के तहत दी जाती थी। अब यह राशि बढ़ाकर 4 लाख कर दी गई है।
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लू से मौत की कैसे पहचान होती है?
इस योजना को लागू करने में सबसे बड़ी समस्या मौत के कारणों की पहचान करना है। अक्सर लू के कारणों का पता लगाना मुश्किल होता है। सरकार ने आदेश जारी करके अस्पतालों को मौत के कारणों का पता लगाने के लिए कहा है। डॉक्टर हीटवेव से मौत की पहचान शरीर का बहुत अधिक तापमान, सूखी गर्म त्वचा, डिहाइड्रेशन और मानसिक भ्रम जैसे लक्षणों से करते हैं। घटना की जगह की गर्म स्थिति के आधार पर लू से मौत की पहचान होती है। इसके साथ ही मरने वाले का मेडिकल इतिहास और लैब रिपोर्ट भी जांचा जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा की मौत लू के कारण ही हुई है।
लू से कितने लोगों की जान गई?
लू से हर साल कई लोगों की जान चली जाती है। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के डेटा के मुताबिक, पिछले साल 360 लोगों की लू लगने से मौत हुई थी। इस आंकड़े पर कई लोग प्रश्न उठा चुके हैं। लोगों का मानना है कि लू से मरने वालों की संख्या इससे अधिक है। एक रिसर्च के अनुसार देश के 17 राज्यों में लू से मरने वालों का आंकड़ा 2024 में 733 था।
इसके साथ ही रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में कुल 40 हजार हीटस्ट्रोक के केस दर्ज हुए हैं। मार्च 2024 और जून 2024 के बीच भारत में रिकोर्ड तोड़ गर्मी पड़ी थी और कई शहरों में तापमान 45 डिग्री के पार रिकॉर्ड किया गया था। इस साल मौसम विभाग को आशंका है कि गर्मी पिछले साल का रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है।