बिहार की 10 विधानसभा सीटें जो चुनाव में बढ़ा सकती हैं RJD की मुश्किलें
बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव है। हर पार्टी चुनावी रणनीति बनाने में जुटी है। आज बात उन 10 सीटों की, जहां पिछले चुनाव में आरजेडी 5000 से कम मतों से जीती थी।

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव। ( Photo Credit: RJD)
चुनाव आयोग के साथ-साथ सियासी दल भी बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुके हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो चुका है। चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पहली बार चुनाव मैदान में होगी। यह पार्टी आने वाले चुनाव में किसी भी सियासी दल का गुणा गणित बिगाड़ सकती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल (RJD), भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बीच था।
आरजेडी ने सबसे अधिक 75 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा को 74, जेडीयू को 43, कांग्रेस को 19 और सीपीआई (ML) को 12 सीट पर कामयाबी मिली थी। 20 विधानसभा सीटों पर अन्य का दबदबा दिखा था। मगर आज बात बिहार की उन 10 विधानसभा सीटों की करेंगे, जहां आरजेडी ने 5 हजार से कम मतों के अंतर से चुनाव जीता था। आने वाले चुनाव में भी पार्टी की मुश्किलें इन सीटों पर बढ़ सकती है, क्योंकि मैदान में एक नया सियासी दल भी है।
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- अलौली विधानसभा: खगाड़िया जिले की अलौली विधानसभा सीट पर हार जीत का अंतर सिर्फ 2,773 मतों से तय हुआ था। कांटे के मुकाबले में आरजेडी के रामवृक्ष सदा चुनाव जीते। उन्हें कुल 47,183 मत मिले। उनकी प्रतिद्वंद्वी जेडीयू प्रत्याशी साधना देवी को 44,410 वोट मिले थे। चुनाव मैदान में कुल 14 प्रत्याशी थे।
- रामगढ़ विधानसभा: इस विधानसभा सीट पर आरजेडी जीत तो गई लेकिन अंतर बेहद मामूली था। आरजेडी प्रत्याशी सुधाकर सिंह को कुल 58,083 मत मिले थे। यहां दूसरे स्थान पर बसपा रही। बसपा प्रत्याशी अंबिका सिंह के खाते में 57,894 वोट आए। रामगढ़ में हार जीत का फैसला सिर्फ 189 वोट से तय हुआ। अगर आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह को दोबारा यहां से उतारा गया तो उनके सामने अपनी सीट बचाने की चुनौती होगी।
- बाजपट्टी विधानसभा: 2020 विधानसभा चुनाव में यहां 28 उम्मीदवार मैदान में थे। मगर बाजी आरजेडी प्रत्याशी मुकेश कुमार यादव ने मारी। उन्होंने महज 2,704 मतों से जेडीयू उम्मीदवार रंजू गीता को हराया था। मुकेश को 71,483 और रंजू को 68,779 वोट मिले थे। यह विधानसभा सीट बिहार के सीतामढ़ी जिले में आती है।
- बड़हरिया विधानसभा सीट: सिवान जिले की बड़हरिया सीट पर 2020 में कुल 14 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। आरजेडी प्रत्याशी बच्चा पांडेय ने 3,559 मतों से चुनाव जीता था। खास बात यह है कि एलजेपी उम्मीदवार 5,065 मतों को काटने में सफल रहा। दूसरे स्थान पर रहे जेडीयू प्रत्याशी श्याम बहादुर सिंह को कुल 68,234 वोट मिले थे।
- दरभंगा ग्रामीण: यहां मौजूदा आरजेडी विधायक ललित कुमार यादव को 2,141 वोटों से जीत मिली थी। आने वाले विधानसभा चुनाव में आरजेडी को यहां कांटे की टक्कर का सामना करना पड़ सकता है। पिछले चुनाव में जेडीयू ने फराज फात्मी को उतारा था। उन्हें 62,788 वोट मिले थे। एलजेपी प्रत्याशी प्रदीप कुमार ठाकुर को 11.5 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 17,605 मत मिले थे।
- देहरी विधानसभा सीट: रोहतास जिले की इस सीट पर सांसे थमा देने वाला मुकाबला देखने को मिला था। हार जीत का फैसला महज 464 वोटों से हुआ था। आरजेडी प्रत्याशी फते बहादुर को कुल 64,567 वोट मिले थे। 64,103 मतों के साथ भाजपा के सत्यनारायण सिंह दूसरे स्थान पर थे। कुल 14 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। इनमें से पांच प्रत्याशियों को 500 से कम वोट मिले थे। अगर एक या दो अन्य निर्दलीय खड़े होते तो यहां आरजेडी का खेल बिगड़ सकता था।
- धोरैया विधानसभा: 2020 विधानसभा चुनाव में यहां से जीतने वाले आरजेडी प्रत्याशी भूदेव चौधरी की जीत महज 2,687 से तय हुई थी। कुल 11 प्रत्याशियों में छह को 3000 से कम वोट मिले थे। 75,959 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे जेडीयू उम्मीदवार मनीष कुमार ने भूदेव चौधरी को कड़ी टक्कर दी थी। यह सीट भी आने वाले चुनाव में आरजेडी के सामने मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
- कल्याणपुर विधानसभा: इस सीट पर हार जीत का अंतर डेढ़ हजार से कम मतों का रहा है। आरजेडी प्रत्याशी मनोज कुमार यादव ने 72,819 मत हासिल करके चुनाव तो जीत लिया। लेकिन आखिरी चरण तक भाजपा प्रत्याशी सचिंद्रा प्रसाद ने बराबर की टक्कर दी। अंत में पिछड़े और सिर्फ 1,193 मतों से चुनाव हार गए। पूर्वी चंपारण जिले की इस सीट पर कुल 9 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। तीन प्रत्याशियों को एक हजार और दो को 2 हजार से कम वोट मिले। मतलब साफ है कि यहां निर्दलियों की भूमिका हार जीत में अहम थी।
- कुरहनी विधानसभा सीट: पिछले विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरपुर जिले की कुरहनी विधानसभा सीट पर सांसें थमा देने वाला मुकाबला देखने को मिला था। आरजेडी प्रत्याशी अनिल कुमार सहनी ने सिर्फ 712 वोट से चुनाव जीता था। भाजपा प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता को 77,837 मत मिले थे। कुल 19 प्रत्याशियों में से 9 को एक हजार से कम वोट मिले थे। एक प्रत्याशी को 784 वोट मिले। यहां वोट कटवा प्रत्याशियों ने आरजेडी की नैया पार लगाई थी।
- सिमरी बख्तियारपुर सीट: सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी को आरजेडी प्रत्याशी यूसुफ सलाहुद्दीन ने 1,759 वोट से हराया था। मुकेश सहनी को कुल 73,925 मत मिले थे। एलजेपी प्रत्याशी संजय कुमार सिंह के खाते में 6,962 वोट आए थे। आने वाले चुनाव में यह सीट किसी भी सियासी दल का खेल बिगाड़ सकती है। खासकर आरजेडी को सतर्क रहना होगा। अगर मौजूदा विधायक के प्रति जनता में नाराजगी हुई तो इसका खामियाजा उसे उठाना पड़ सकता है।
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किसे-कितने फीसदी वोट मिले?
अगर सीट की बात करें तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के खाते में 125 और कांग्रेस-आरजेडी नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं। दोनों गठबंधन को 37.9-37.9 फीसदी वोट मिले। 24.2 फीसदी मतों पर अन्य का कब्जा रहा। पार्टी वार बात करें तो आरजेडी को 23.5, भाजपा को 19.8, जेडीयू को 15.7, कांग्रेस को 9.6, एलजेपी को 5.8 और अन्य को सर्वाधिक 25.6 फीसदी मत मिले थे।
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