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उडुपी श्रीकृष्ण मठ में वेडिंग फोटोशूट पर फुल स्टॉप! मठ ने लगाया बैन

कर्नाटक में स्थित उडुपी श्रीकृष्ण मठ में वेडिंग फोटोशूट पर प्रतिबंध लग गया है। जानिए क्या है वजह।

Image of Udupi Sri Krishna Math

उडुपी श्रीकृष्ण मठ का प्रवेश द्वार।(Photo Credit: Wikimedia Commons)

कर्नाटक के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल उडुपी श्रीकृष्ण मठ की देखरेख कर रही पर्याय पुत्तिगे मठ ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले में बताया गया है कि अब मठ परिसर के पास स्थित रथबीदी रास्ते पर वेडिंग फोटोशूट पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।

 

यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि हाल के कुछ सालों में यह देखा गया है कि कई युवा जोड़े, खासकर कर्नाटक और केरल से आने वाले, इस पवित्र स्थान पर स्टाइलिश फोटोशूट करवाने लगे थे। अक्सर यह शूटिंग सुबह-सुबह की जाती थी ताकि भीड़ कम हो। हालांकि, मंदिर प्रशासन का कहना है कि इन फोटोशूट्स के दौरान कई बार अनुचित व्यवहार भी देखा गया, जिससे मंदिर के आध्यात्मिक वातावरण में खलल पड़ता है।

रथबीदी मार्ग का धार्मिक महत्व अधिक

रथबीदी मार्ग का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। यह केवल एक सड़क नहीं, बल्कि एक पवित्र परिक्रमा पथ है, जिस पर सदियों से संत, भक्त और अष्ट मठों के प्रमुख चलते आ रहे हैं। साथ ही यह मार्ग मंदिर के अनुष्ठान, उत्सव और धार्मिक परंपराओं का हिस्सा है और प्रशासन का कहना कि इन कारणों से इसे सम्मान देना हम सबका कर्तव्य है।

 

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मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है, बल्कि इस पवित्र स्थान की गरिमा बनाए रखना है। वहीं भक्तों और पर्यटकों का मंदिर में स्वागत है लेकिन मंदिर को ‘फोटो डेस्टिनेशन’ की तरह उपयोग करना उचित नहीं है।

 

इस नए नियम को हाल ही में लागू किया गया है और इसकी जानकारी आस-पास के फोटोग्राफर और वेडिंग प्लानर को दे दी गई है। पर्याय पुत्तिगे मठ के प्रशासनिक सचिव, प्रसन्नाचार्य ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उडुपी श्रीकृष्ण मठ न केवल एक तीर्थस्थल है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक शिक्षा केंद्र भी है, जो देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पूजनीय है। उसकी आध्यात्मिक गरिमा और संस्कृति की रक्षा करना हम सबका उत्तरदायित्व है।

 

बता दें कि यह मठ 13वीं शताब्दी में संत मध्वाचार्य द्वारा स्थापित किया गया था, जो शंकराचार्य और रामानुजाचार्य के साथ 'आचार्य त्रयी' में से एक माने जाते हैं। यह मंदिर आज भी तटीय कर्नाटक का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बना हुआ है।

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