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कुंभ में 137 साल पहले हुई थी कैबिनेट मीटिंग, योगी सरकार रचेगी इतिहास

तीर्थराज प्रयाग में उत्तर प्रदेश सरकार की 1887 में हुई थी पहली बैठक, अब महाकुंभ 2025 में योगी सरकार के मंत्रिमंडल की ऐतिहासिक बैठक होगी।

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यूपी कैबिनेट मीटिंग की फाइल फोटो, Photo Credit: PTI

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विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुंभ में 22 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल के साथ ऐतिहासिक बैठक करेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रयागराज में कैबिनेट की यह दूसरी बैठक होगी। पहली बैठक कुंभ 2019 के दौरान 29 जनवरी को 2019 को मेला प्राधिकरण कार्यालय में हुई थी। वहीं अगर तीर्थराज प्रयाग में आयोजित कुंभ में उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक की बात करें तो सबसे पहली बैठक 8 जनवरी 1887 को उत्तर प्रदेश की विधान मंडल नार्थ वेस्टर्न प्राविंसेज एंड अवध लेजिस्लेटिव काउंसिल की पहली बैठक हुई थी।

 

फिरहाल 22 जनवरी को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक मेला क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए यमुनापार के अरैल क्षेत्र में होगी। इसके लिए अरेल क्षेत्र में बने त्रिवेणी संकुल को चुना गया है। वीआईपी आगमन से आम श्रद्धालुओं को परेशानी न हो इसके लिए मेला प्राधिकरण ने बैठक वहीं कराने का निर्णय लिया है। मिली जानकारी के अनुसार बैठक में प्रदेश सरकार के 54 मंत्री शामिल होंगे जबकि अभी तक 130 वीआईपी के प्रयागराज आने की सूचना है। शहर से लेकर मेला क्षेत्र तक हर जगह वीआईपी कमरे बुक कराए गए हैं।

 

किन फैसलों पर लगेगी मुहर?

 

महाकुंभ में लगातार लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन के कारण कैबिनेट बैठक को मेलाक्षेत्र के दूसरी तरफ दूसरी आयोजित किया जा रहा है। जिससे वीआईपी मूवमेंट के कारण आम जनता प्रभावित न हो। इस बैठक में प्रयागराज और वाराणसी समेत आसपास के क्षेत्रों को लेकर कई अहम फैसले लिए जाएंगे जिससे पूर्वांचल को विकास की नई उड़ान मिलेगी। इनमें से एक प्रयागराज-वाराणसी क्षेत्र को मिलाकर धार्मिक क्षेत्र बनाने के प्रस्ताव पर भी मुहर लग सकती है।

 

बता दें कि कुंभ 2019 में संगम के किनारे कैबिनेट की बैठक आयोजित हुई थी। इस बैठक में मेरठ से प्रयागराज तक बनने वाली गंगा एक्सप्रेस-वे जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी गई थी। जो उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे के विकास में एक अहम कड़ी साबित हो रही है। इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है और इसकी लंबाई 594 किमी है। यह 12 जिलों को जोड़ेगा।

1887 में कौन-कौन आया था?

 

जब 8 जनवरी 1887 को उत्तर प्रदेश की पहली विधान मंडल नार्थ वेस्टर्न प्राविंसेज एंड अवध लेजिस्लेटिव कौंसिल की पहली बैठक हुई थी तो यह संगम क्षेत्र के नजदीक इलाहाबाद के थार्नहिल मेन मेमोरियल हाल में हुई थी, जो कि एक लाइब्रेरी थी। बैठक में सर सैय्यद अहमद खां सहित 9 लोग शामिल थे। बता दें कि उत्तर प्रदेश को पहले नार्थ वेस्टर्न प्राविसेज एण्ड अवध के नाम से जाना जाता था। इंडियन काउंसिल एक्ट 1861 के प्रावधानों के अनुसार 8 जनवरी 1887 को उत्तर प्रदेश विधन मंडल सदन लेजिस्लेटिव कौंसिल फार द नार्थ वेस्टर्न प्रोविन्स अवध की बैठक हुई थी।

 

आजादी के पहले 1887 में हुई इस बैठक में कई प्रस्ताव भी पास हुए थे, जिस पर बाद के दिनों में अमल भी लाया गया था। पहली बैठक में कुल 9 सदस्य शामिल हुए थे, जिसमें 5 अंग्रेज, जिसमें जे डब्ल्यू क्विंटन, टी कानलन, जे वुडबर्न, एमए मैकांगी और जीई नॉक्स मौजूद थे और 4 भारतीय पंडित अयोध्यानाथ पाठक, मौलवी सैयद अहमद खां, राजा प्रताप नारायण सिंह, राय बहादुर दुर्गा प्रसाद शामिल थे।

 

1887 के बाद 2003 में एक बार फिर 8 जनवरी को यूपी सरकार और विधानमंडल के सदस्यों का चंद्रशेखर आजाद पार्क स्थित पब्लिक लाइब्रेरी में जुटान हुआ था। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष रहे पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी के प्रयासों से आयोजित सदी समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती सहित पूरा सदन था। पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल आचार्य विष्णु कांत शास्त्री ने किया था।

 

फिर एक लंबे अंतराल के बाद साल 2019 में भी प्रयागराज में कैबिनेट बैठक हुई थी। यह बैठक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कुंभ क्षेत्र में हुई थी।

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