उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य के पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है। पंचायत चुनाव में आरक्षण से संबंधित मामलों को लेकर चुनौती दी गई थी, जिसके बाद उत्तराखंड में आगामी पंचायत चुनावों पर हाई कोर्ट ने रोक लगाई है। बीते शनिवार को ही राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। इसमें आरक्षण की नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया था, जिसे कोर्ट ने नियमों के तहत नहीं माना। अब कोर्ट ने सरकार से जवाब पेश करने को कहा है। याचिकाकर्ताओं ने इसी को लेकर हाई कोर्ट में याचिका डाली थी।
बता दें कि बीते शुक्रवार को हाई कोर्ट ने पुष्कर सिंह धामी सरकार से स्थिति से अवगत कराने को कहा था लेकिन राज्य सरकार आज स्थिति से अवगत कराने में नाकाम रही। कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने चुनाव की तारीख निकाल दी, जबकि मामला कोर्ट में चल रहा है। जिस पर कोर्ट ने पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
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सरकार ने आदेश में क्या कहा?
मामले में सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि अब तक के पंचायत चुनावों में पूर्व में लागू हुए आरक्षण को शून्य मानते हुए इस साल से प्रथम आरक्षण लागू माना जाएगा। इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी और इसी के साथ राज्य में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई थी। सरकार के इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और जस्टिस आलोक मेहरा की खंडपीठ के सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया।
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किसने दायर की है याचिका?
मामले के मुताबिक, बागेश्वर जिले के रहने वाले गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इन्होंने याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव के लिए नई नियमावली बनाई थी। इसके साथ ही सरकार ने 11 जून को आदेश जारी करके अब तक पंचायत चुनाव के लिए लागू आरक्षण रोटशन को शून्य घोषित करते हुए इस साल से नया रोटशन लागू करने का फैसला लिया है। जबकि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए हैं।