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नई दिल्ली मगर नाले पुराने, राजधानी में जलभराव की असली वजह क्या है?

दिल्ली में जल भराव की समस्या लंबे समय से चली आ रही है। आइए जानते हैं, दिल्ली में जल भराव का क्या कारण है।

Image of Pinto road

नई दिल्ली के पिंटो रोड में जलभराव की सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: PTI File Photo)

देश में मौनसून ने दस्तक दे दिया है और इसका असर दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 16 साल के बाद मौनसून का जल्दी आया है और दिल्ली व मुंबई में अब तक की सबसे ज्यादा बारिश हुई है। हालांकि, इसके वजह से कई बार लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। दिल्ली में मौनसून के समय सड़कों और नालियों में जलभराव के वजह से जाम और कई बार अन्डरपास में गाड़ियों का फंसना आम सा हो गया है।

 

दिल्ली में ऐसी ही एक जगह मिंटो रोड जहां बीती रात हुई बारिश के के बाद कार और बस डूब गई। हालांकि कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि दिल्ली में ऐसा होता क्यों है, आइए जानते हैं?

 

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दिल्ली में शहरी बाढ़ क्यों आती है?

इसका मुख्य कारण है शहर की खराब ड्रेनेज सिस्टम, जो कई जगहों पर  1976 में बनाए गए पुराने ड्रेनेज मास्टर प्लान पर आधारित है। दिल्ली में बाढ़ दो वजहों से हो सकती है — यमुना नदी में बाढ़ या स्थानीय बारिश के कारण। साल 1978 में यमुना का जलस्तर बढ़ने की वजह से दिल्ली में बाढ़ आई थी। हालांकि, आजकल जो हर साल शहरी बाढ़ देखी जाती है, वह स्थानीय बारिश के चलते होती है। बारिश का जो पानी जमीन नहीं सोख पाती, वह 'रन-ऑफ वॉटर' कहलाता है, जिसे नालों के जरिए यमुना में बह जाना चाहिए, कई नालों में गंदा सीवेज पानी बहता है। ऐसे में यह पानी यमुना तक नहीं पहुंच पाता और जलजमाव हो जाता है।

 

पुराने समय में नालों को एक तय मात्रा के पानी को निकालने के लिए बनाया गया था लेकिन अब विस्तार के चलते जमीन पक्की हो चुकी है, जिससे ज्यादा बारिश का पानी बह जाता है और कम जमीन सोख पाती है। पहले 50% पानी ज़मीन सोख लेती थी, अब लगभग 90% पानी सतह पर बहता है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की तीव्रता भी बढ़ गई है।

 

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क्या दिल्ली का लैन्डफॉर्म इसका कारण है?

दिल्ली की लैन्डफॉर्म कुछ हद तक मददगार है। पश्चिमी दिल्ली ऊंचाई पर है और यमुना की ओर ढलान है, जिससे पानी का बहाव आसान होता है। कोलकाता या पटना की तरह समतल जमीन वाले शहरों की तुलना में दिल्ली को इस मामले में फायदा मिलता है। हालांकि, यमुना के पूर्वी हिस्से में जमीन नीची है, जहां पानी भरने की संभावना अधिक रहती है।

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