राजस्थान की पुरानी विधानसभा का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। राजस्थान सरकार और जयपुर के पूर्व राजपरिवार के बीच विधानसभा भवन पर कब्जे की लड़ाई चल रही है। हाई कोर्ट से झटका लगने के बाद राजपरिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब अदालत ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है। दरअसल, राजस्थान की सरकार जयपुर में स्थित पुरानी विधानसभा बिल्डिंग में 100 करोड़ रुपये की लागत से एक विश्वस्तरीय म्यूजियम बनाना चाहती है। राजपरिवार इसके विरोध में है।
राजमाता पद्मिनी देवी, दीया कुमारी और सवाई पद्मनाभ सिंह ने राजस्थान सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में पुरानी विधानसभा भवन में किसी भी प्रकार के बदलाव और निर्माण पर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की गई। याचिका पर शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला है क्या?
राजपरिवार का दावा: राजस्थान विधानसभा की पुरानी इमारत को टाउन हॉल नाम से भी जाना जाता है। राजपरिवार का दावा किया है कि यह इमारत उनकी निजी संपत्ति है और जयपुर के महाराजा के पास थी। पुराने विधानसभा भवन को कोवेनेंट में निजी संपत्ति माना गया था। बाद में राजस्थान सरकार ने लाइसेंस के आधार पर इसका इस्तेमाल विधानसभा के तौर पर शुरू किया। मगर अब सरकार ने विधानसभा को नई इमारत में शिफ्ट कर दिया है और इसी के साथ लाइसेंस भी खत्म हो गया। ऐसे में यह संपत्ति राजपरिवार को वापस दी जाए।
सरकार का तर्क: हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में राजस्थान सरकार ने तर्क दिया था कि कोवेनेंट में यह संपत्ति सरकार को दी गई है। हमें संपत्ति लाइसेंस से नहीं मिली है। सरकार ने दावा किया कि जिस दिन कोवेनेंट लिखा गया था, उस वक्त इस इमारत में विधानसभा नहीं थी। कोवेनेंट अंग्रेजी शासन के वक्त बना एक प्रसंविदा नियम था।
हाई कोर्ट का फैसला: 2023 में राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और राज परिवार की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि पुरानी विधानसभा इमारत सरकार के पास ही रहेगी। सरकार का तर्क है कि यह समझौता संविधान से पहले का है। ऐसे में इसे किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
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टाउन हॉल में हुई थी पहली बैठक
जयपुर के महाराज राम सिंह ने 1840 में भवन का निर्माण शुरू करवाया था। 1883 में भवन बनकर तैयार हुआ। राजपरिवार इस भवन का इस्तेमाल दरबार के तौर पर करता था। बाद में इसे राजस्थान सरकार को सौंप दिया। 1952 में पहली बार राजस्थान विधानसभा की बैठक इसी भवन में हुई। बाद में विधानसभा को नई जगह शिफ्ट किया गया। अब राजपरिवार इस भवन को वापस मांग रहा है। पहले इस भवन को नया महल कहा जाता था। बाद में सवाई मानसिंह द्वितीय ने इसका नाम सवाई मानसिंह टाउन हॉल कर दिया।