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'4.17 करोड़ दो वरना कलेक्ट्रेट नीलाम होगा', कोर्ट के फैसले से सब हैरान

मधुबनी कोर्ट ने जिला कलेक्टर से 4.17 करोड़ रुपये का अदा करने का नोटिस दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर यह रकम नहीं दी गई तो इन संपत्तियों की नीलामी की जाएगी।

Madhubani Court

AI Generated Image. (Photo Credit: Sora ChatGPT)

मधुबनी के एक सिविल कोर्ट ने ऐसा आदेश जारी किया है जिसकी पूरे जिले में खूब चर्चा है। कोर्ट ने एक कंपनी पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर 15 दिनों के भीतर कंपनी को भुगतान नहीं किया जाता है तो जमीन की नीलामी करके यह राशि वसूली जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि जिस जमीन को नीलाम करने की बात कही जा रही है, वह जमीन कलेक्ट्रेट का है।
 

कोर्ट में यह केस मेसर्स राधाकृष्ण एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिमेट कोलकत्ता से जुड़ा है। इस वाद में इसी कंपनी की जीत हुई है, कंपनी के हक में डिक्री पास हुआ है। मधुबनी कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर 15 दिनों के भीतर यह राशि नहीं चुकाई गई तो कलेक्ट्रेट की जमीन, मकान सहित नीलाम कर दी जाएगी। 


क्या-क्या नीलाम होगा?


जिस जगह की नीलामी की बात कही जा रही है, वह कलेक्ट्रेट की जमीन है। उसी पर कलेक्ट्रेट बना है। कोर्ट ने कहा है कि अगर 4.17 करोड़ रुपये नहीं चुकाए जाते हैं तो यह जमीन, मकान सहित नीलाम कर दी जाएगी।


जमीन का नंबर क्या है?

मधुबनी कलेक्ट्र का खसरा नंबर 4899 है। कलेक्ट्रेट की चौहद्दी में एक पुलिस चौकी है। उत्तर में पुलिस चौकी है, दक्षिम में सिविल कोर्ट है। पश्चिम में भी सिविल कोर्ट की दीवारें हैं। पूरब में रास्ता है।

कलेक्ट्रेट के पास अब क्या विकल्प हैं? 

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विशाल अरुण मिश्रा बताते हैं कि कोर्ट के आदेश पर नीलामी हो सकती है। अब अगर प्रतिवादी कलेक्ट्रेट है तो दफ्तर इसके खिलाफ बड़ी अदालत में अपील भी दायर कर सकता है या पुनर्विचार की मांग कर सकता है।

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क्या कोर्ट ऐसा कर सकता है?   

एडवोकेट विशाल अरुण मिश्रा कहते हैं कि कोर्ट के पास यह अधिकार है कि ऐसे आदेश दे सकता है। अगर कोई विभागीय काम कराया जाता है, उसकी देय राशि नहीं चुकाई जाती है तो ऐसे आदेश कोर्ट अपने विवेकाधिकार पर ऐसे फैसले ले सकता है। 

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मामला क्या है? 


चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने 4.17 करोड़ रुपये के भुगतान नहीं करने पर कलेक्ट्रेट की जमीन नीलाम करने का आदेश दिया है। जज अनामिका टी की कोर्ट ने आर्बिट्रेशन एग्जीक्यूशन केस नंबर 3/16 से जुड़ा राधआ कृष्ण एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड बनाम पंडौल कोऑपरेटिव सूती मिल के केस में यह फैसला सुनाया है। कोर्ट के आदेश का नोटि कलेक्ट्रेट पर चिपका दिया गया है। कलेक्टर को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया गया है। अब कलेक्ट्रेट के कर्मचारी डरे हुए हैं। 

 

क्यों कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है? 

पंडौल कोऑपरेटिव मिल में लगाई गई पूंजी, कच्चा माल का पैसा बकाया है। कई साल से इसे चुकाया नहीं गया है। ब्याज सहित कुल 4 करोड़ 17 लाख 24 हजार, 459 रुपये का भुगतान नहीं हुआ है। साल 2016 में जिला और सत्र न्यायालय की कोर्ट में इसके निपटारे के लिए आर्बिटर्रेशन की मांग की गई थी। कोर्ट से मांग की गई थी कि अगर यह राशि नहीं चुकाई जाती है तो जमीन पर बने दो मंजिला भवन नीलाम किया जाए, कलेक्ट्रेट की 10 कट्ठा जमीन भी नीलाम हो। अब अगर यह राशि नहीं चुकाई जाती है तो नीलामी की प्रक्रिया शुरू होगी।

कलेक्टर ने क्या कहा?

मधुबनी के डीएम आनंद शर्मा ने कहा है कि जब वह इस मामले को समझ लेंगे तब जरूरी कार्यवाही करेंगे।

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