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UPPSC के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं छात्र? समझिए पूरी बात

UPPSC के दफ्तर के बाहर दो दिन से छात्रों का प्रदर्शन जारी है और आंदोलनकारी छात्र अपनी मांग पूरी होने से पहले हटने को तैयार नहीं हैं। आइए इस आंदोलन की वजह समझ लेते हैं।

uppsc protest 2022

UPPSC के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्राएं, Image Source: Social Media

हाल ही में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने दो परीक्षाओं की तारीखों का ऐलान किया। यही ऐलान अब छात्रों के गुस्से की वजह बन गया गया। गुस्सा ऐसा कि हजारों की संख्या में छात्र प्रयागराज में स्थित UPPSC के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करने पर उतर आए हैं। सोमवार को शुरू हुआ यह प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी है और तमाम छात्र आवाज उठा रहे हैं कि उनकी मांगों का माना जाए और उसी के हिसाब से परीक्षा कराई जाए। आइए समझते हैं कि यह मामला क्या है और क्या है इन छात्रों की मांग?

 

UPPSC की ओर से कराई जाने वाली उत्तर प्रदेश कंबाइंड स्टेट/अपर सबऑर्डिनेट सर्विस परीक्षा यानी PCS परीक्षा और समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी की परीक्षा अक्टूबर में होनी थी। उसी समय पर कुछ परीक्षाओं में गड़बड़ी हुई थी जिसके चलते इसे टाल दिया गया था। पहले भी कई परीक्षाएं टाली गई थीं।

 

क्या है बवाल की मुख्य वजह?

 

हाल ही में UPPSC ने RO/ARO और PCS परीक्षा की नई तारीखों का ऐलान किया। हालांकि, इस ऐलान के साथ ही यह भी कहा गया कि ये परीक्षाएं अब अलग-अलग पालियों में होंगी और इनमें नॉर्मलाइजेशन भी लागू होगा। इससे पहले, PCS की परीक्षा एक ही पाली में और एक ही दिन में होती आ रही थी। छात्रों का मुख्य विरोध प्रदर्शन भी इसी के खिलाफ हो रहा है।



आयोग के मुताबिक, अब RO/ARO की परीक्षा 22-23 दिसंबर को होनी है। वहीं, PCS की प्रारंभिक परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को दो-दो पालियों में होनी है। विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि जब तक परीक्षा को एक दिन में कराने का आदेश जारी नहीं होता है तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रयागराज में प्रदर्शनकारी छात्रों की संख्या को देखते हुए प्रशासन की ओर से पुलिस, RAF और PAC के जवानों को तैनात किया गया है। सोमवार को बैरिकेडिंग लगाकर भी प्रदर्शनकारी छात्रों को रोकने की कोशिश की गई लेकिन वे आयोग के दफ्तर के गेट तक पहुंच गए।

 

क्या है नॉर्मलाइजेशन?

 

दरअसल, कोई भी परीक्षा जब एक से ज्यादा पाली में और एक से ज्यादा दिन होती है तो प्रश्नपत्र अलग-अलग होते हैं। प्रश्न भी अलग-अलग होते हैं और माना जाता है कि कुछ पेपर सरल तो कुछ कठिन भी होते हैं। यही वजह है कि नॉर्मलाइजेशन यानी मानककीकरण की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके जरिए कोशिश की जाती है कि दोनों शिफ्ट या अलग-अलग दिनों में परीक्षा देने वाले परीक्षार्थी एक समान हो जाएं। हालांकि, छात्र इसके समर्थन में नहीं हैं। उनका मानना है कि PCS जैसी परीक्षा में यह तरीका उचित नहीं है।

 

इसमें अलग-अलग पालियों और अलग-अलग दिनों के परीक्षार्थियों के अंकों का औसत निकाला जाता है। मान लीजिए पहली पाली वाले परीक्षार्थियों को औसतन 90 नंबर मिले और दूसरी पाली वालों को औसतन 110 नंबर मिले तो औसत 100 हो जाएगा। अब पहली तारीख वालों के 10 नंबर बढ़ा दिए जाएंगे और दूसरी पारी वाले के 10 घटा दिए जाएंगे। परीक्षार्थियों का कहना है कि इसमें एक पाली के छात्रों को नुकसान होने की पूरी आशंका होती है। हालांकि, कई अन्य तरीके के नॉर्मलाइजेशन भी लागू किए जाते हैं लेकिन छात्र RO-ARO और PCS की परीक्षा में इसे लागू करने के लिए कतई तैयार नहीं हैं और उनकी मांग है कि इस परीक्षा को एक ही दिन में कराया जाए और नॉर्मलाइजेशन लागू न हो।

 

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