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AI से चलने वाली यह घड़ी बताएगी कब होगी आपकी मौत! समझिए कैसे

हाल ही में लॉन्च हुआ डेथ क्लॉक AI टूल आपके द्वारा दी गई जानकारी के आधार आपकी मृत्यु कब होगी, इसकी अनुमानित जानकारी देता है। जानिए कैसे-

AI Image of Man standing in Front of Death clock

डेथ क्लॉक का प्रतीकात्मक चित्र। (Pic Credit- Freepik)

जन्म और मृत्यु को जीवन का सबसे बड़ा सत्य कहा गया है। जिसने भी इस धरती पर जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित होती है। कई लोग ये जानना चाहते हैं कि उनकी मृत्यु कब और कैसे होगी। भारत में इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए अनुभवी ज्योतिष से सलाह ली जाती है। हालांकि, इसपर अधिकांश लोग विश्वास नहीं करते हैं। अब इस सवाल का जवाब आपको AI ऐप ‘डेथ क्लॉक’ दे रहा है। बता दें कि हाल ही में लॉन्च हुए डेथ क्लॉक एआई ऐप ने ऑनलाइन यूजर्स के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की है। जुलाई में लॉन्च होने के बाद से इसे अब तक 1,25,000 बार डाउनलोड किया गया है।

 

डेथ क्लॉक के निर्माण में अहम भूमिका ब्रेंट फ्रांसन ने निभाई है और यह ऐप 1,200 से अधिक स्टडीज और 5।3 करोड़ प्रतिभागियों के डेटा पर आधारित है। यह ऐप आपकी डाइट, योग, तनाव और नींद की आदतों के आधार पर आपकी अनुमानित मृत्यु तिथि बताता है। इस AI ऐप का परिणाम अन्य भविष्यवाणियों की तुलना में अधिक सटीक बताए जाते हैं। डेथ क्लॉक उपयोगकर्ताओं को 40 डॉलर (भारतीय रुपए में करीब 3,300 रुपए) प्रति वर्ष में सदस्यता प्रदान करता है। यह जीवनशैली में सुधार के सुझाव देता है और सेकंड-दर-सेकंडवजन काउंटडाउन दिखाता है।

कैसे काम करता है डेथ क्लॉक

डेथ क्लॉक ऐप और वेबसाइट दोनों पर उपलब्ध है। ये आपकी कुछ जानकारी लेता है, जैसे आपकी जन्मतिथि, लिंग, आप स्मोक करते हैं या नहीं, शराब का सेवन करते हैं या नहीं, किस देश में आप रहते हैं, यह सभी जानकारी लेता है। इसके साथ आपसे आपको अपनी हाइट और वजन बताने के लिए भी कहता है। आपके द्वारा दिए गए जवाब के आधार पर यह अनुमानित मृत्यु की तिथि और कारण बता देता है। इसमें यदि आप लंबे समय नशे का सेवन कर रहे हैं, तो उसी के आधार पर यह बीमारी का नाम भी बताता है, जिसके कारण आपके मृत्यु होने की संभावना है।

आर्थिक और व्यक्तिगत उपयोग

लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी जीवन प्रत्याशा न केवल व्यक्तिगत बल्कि आर्थिक और नीतिगत रूप से भी महत्वपूर्ण है। बीमा कंपनियां, पेंशन फंड, और वित्तीय योजनाकार इस डेटा का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका का सोशल सिक्योरिटी विभाग जीवन प्रत्याशा की गणना करने वाले पुरानी परंपरा का उपयोग करता है। 
हालांकि, फ्रांसन का मानना है कि औसत आंकड़े निजी स्तर पर बहुत अलग हो सकते हैं। डेथ क्लॉक जैसी तकनीक इसपर सटीक अनुमान दे सकती है।

नई रिसर्च और एआई का प्रभाव

हाल ही में नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च ने दो स्टडी प्रकाशित किए गए थे। पहली स्टडी में बताया गया है कि सिर्फ कैलेंडर एज के आधार पर नीतियां बनाना सही नहीं है। दूसरा अध्ययन ‘स्टैटिस्टिक्स के आधार पर जीवन मूल्य’ पर केंद्रित है, जो बताता है कि स्वस्थ लोगों का जीवन मूल्य अधिक होता है।

 

इसके अलावा, कई वित्तीय योजनाकार यह मानते हैं कि बेहतर लाइफ एक्सपेक्टेंसी के अनुमान से लोग रिटायरमेंट के लिए बेहतर योजना बना सकते हैं। लंबे जीवन का मतलब होगा कि लोग अधिक समय तक अपने निवेश का प्रबंधन करेंगे और अच्छे रिटर्न की तलाश करेंगे।

डेथ क्लॉक की सीमाएं 

एआई तकनीक पूरी तरह सटीक कहना गलत होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मृत्यु के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे- दुर्घटनाएं, महामारी और सामाजिक असमानता जैसे कारक जीवन के पूर्वानुमान को प्रभावित करते हैं। शोध ये भी बताता है कि अमीर और गरीब के बीच जीवन प्रत्याशा में बड़ा अंतर है। 40 वर्ष की आयु में, सबसे अमीर और सबसे गरीब 1% पुरुषों के बीच जीवन प्रत्याशा में 15 साल का अंतर होता है।

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